सतना

tiger state MP: सफारी में भूख से मर गया सिंह शावक

प्राथमिक पीएम रिपोर्ट में हुआ खुलासा – फीडिंग नहीं कर पाया शावक

सतनाOct 14, 2019 / 02:10 am

Ramashankar Sharma

Lion cub died of starvation in Tiger State MP Safari

सतना. व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में पिछले दिनों शेर के तीन शावकों के जन्म की खुशी महज दो दिन भी नहीं रह पाई। सफारी प्रबंधन एक शावक को बचा पाने में नाकाम रहा। जन्म के तीसरे दिन ही उसकी मौत हो गई। प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह भूख सामने आई है। भूख से शावक की मौत के बाद हड़कम्प मच गया। आनन-फानन प्रबंधन ने सफाई दी कि तीन में से एक शावक जन्म से ही कमजोर था। प्राकृतिक तरीके से मां का दूध खींच पाने में सक्षम नहीं था। ऐसे हालात में उसे बोतल से दूध पिलाने की कोशिश की गई पर निप्पल से भी वह दूध नहीं खींच पाया और मौत हो गई।
जन्म के तीसरे दिन आई मौत की खबर

महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी एंड जू मुकुंदपुर में कानन पेंडारी जूलाजिकल गार्डन बिलासपुर से अप्रैल 2018 में एशियाटिक लायनेस (शेरनी) जैस्मिन लाई गई थी। हालही 10 अक्टूबर की सुबह जैस्मिन ने तीन शावकों को जन्म दिया। पहला शावक प्रात: 5.45 बजे, दूसरा 6.47 और तीसरा 7.26 बजे जन्मा। तीनों शावकों के जन्म के बाद सफारी में खुशी छा गई। संचालक संजय रायखेड़े ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि तीनों स्वस्थ हैं और मां का दूध पी रहे हैं। 12 अक्टूबर की दोपहर एक शावक की अचानक मौत की खबर सामने आई। बताया गया कि जो शावक सबसे बाद में जन्मा था, उसकी मौत हुई है। शावक की मौत की खबर से हड़कम्प मच गया। आनन-फानन सफारी प्रबंधन से सफाई जारी की गई कि शावक मां का दूध सक (खींच/चूस) नहीं कर पा रहा था। इससे उसकी हालत कमजोर होती गई और उसने दम तोड़ दिया।
विशेषज्ञ बोले-दूध नहीं खींच पा रहा था शावक

सफारी में तैनात वन्य प्राणी चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ राजेश तोमर ने बताया, दो चिकित्सकों की टीम ने शावक का पोस्टमार्टम किया है। अभी एक डॉक्टर की रिपोर्ट नहीं मिली है। लेकिन प्राथमिक पीएम रिपोर्ट में जो लक्षण सामने आए हैं वे शावक के दूध न पी पाने की ओर इशारा कर रहे हैं। सबसे बाद में होने वाले शावक के जीवित बचने के चांस ५० फीसदी तक होते हैं। क्योंकि, अक्सर वे कमजोर होते हैं। इस मामले में भी शावक जन्म के बाद से ही मां का दूध खींच नहीं पा रहा था। हालांकि उसे दूध पिलाने की अलग से कोशिश की गई। बोतल से दूध पिलाया गया पर निप्पल से भी वह शावक दूध खींच नहीं पा रहा था। हालांकि जब डॉ तोमर से यह पूछा गया कि दूध खींच नहीं पाने की स्थिति में उसे पिलाया भी तो जा सकता था, तो वे कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। बहरहाल, मौत के कारणों के लिए फाइनल पीएम रिपोर्ट का इंतजार है। लेकिन, प्रारंभिक जांच के नतीजे बता रहे कि सिंह शावक की भूख से मौत हुई है।
जवाब मांगते सवाल
व्हाइट टाइगर सफारी मूल रूप से सिर्फ जू (चिडिय़ाघर) नहीं है। यहां प्रजनन केंद्र और रेस्क्यू सेंटर भी है। रेस्क्यू सेंटर में वन्य प्राणियों को बचाने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया कि क्या एक शावक की मौत सिर्फ इस वजह से हो सकती है कि वह मां का दूध खींच नहीं पा रहा था? क्या ऐसा कोई उपाय नहीं कि शावक अगर निप्पल से दूध खींचने में अक्षम हो तो उसे किसी अन्य विधि से दूध पिलाया जाए?
शावकों से अलग नहीं हो रही शेरनी

एक शावक की मौत के बाद शेरनी जैस्मिन अपने दो अन्य शावकों से अलग नहीं हो रही है। इसके चलते चिडिय़ाघर प्रबंधन ने चौकसी बढ़ा दी है। अब खतरा इस बात का है कि दो बचे हुए शावक शेरनी के नीचे आकर कहीं दब न जाएं। क्योंकि जैस्मिन ने बीते साल भी दो शावकों को जन्म दिया था। दोनों पहले से ही कमजोर थे। एक के शरीर में उसका दांत भी दब गया था। इससे दोनों की मौत हो गई थी। इस बार फिर से एक शावक की मौत ने चिंता बढ़ा दी है। इधर, चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. राजेश सिंह तोमर ने टीम के सदस्यों के साथ जैस्मिन के बाड़े के नाइट हाउस का निरीक्षण किया। नाइट हाउस के भीतर फिलहाल चिड़ियाघर का कोई भी कर्मचारी नहीं जा रहा। जैस्मिन का केयर टेकर भोजन देने के लिए कुछ नजदीक तक गया था।
सफारी प्रबंधन से हुई चूक
पशु चिकित्सक बृहस्पति भारती का कहना है कि शावक की मौत का कारण सिर्फ दूध न पीना नहीं हो सकता। कहीं न कहीं शावक की देखभाल में सफारी प्रबंधन से चूक हुई है। यदि शावक निप्पल से दूध नहीं पी रहा था तो उसकी जांच होनी चाहिए थी। उसका सही ट्रीटमेंट होता तो बचाया जा सकता था।
” शावक मां का दूध नहीं खींच पा रहा था। उसको निप्पल लगी बोतल से दूध पिलाने की कोशिश की गई, इसके बाद भी वह दूध पीने में अक्षम रहा। इससे उसकी मौत हो गई।”
संजय रायखेड़े, संचालक टाइगर सफारी
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