राज्य मंत्री हर्ष सिंह की सीट है। अधिक उम्र व स्वास्थ्य को देखते हुए इस बार चुनाव लड़ने की संभावना कम मानी जा रही है। इस कारण राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं। भाजपा में नए दावेदार सामने हैं वहीं बसपा मौका मान रही है। यहां कांग्रेस और बसपा के समझौते की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है।
– भाजपा हर्ष सिंह 71,818
– बसपा रामलखन पटेल 47,563 ये हैं चार मुद्दे
– सतना-बेला मार्ग का निर्माण, बेरोजगारी, स्कूलों का उन्नयन, पुस्तकालय का नाम बदलाव
मजबूत दावेदार भाजपा
– विक्रम सिंह – नपा अध्यक्ष व मंत्री हर्ष सिंह के पुत्र
– उमेश प्रताप सिंह – जिपं सदस्य व पूर्व रामपुर जपं अध्यक्ष
– केपीएस तिवारी- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व प्रत्याशी हैं
– कमलेंद्र सिंह कमलू – संगठन में पकड़, क्षेत्र में सक्रिय ये भी ठोक रहे ताल
– रामलखन पटेल- पूर्व विधायक, बसपा नेता, क्षेत्र में पकड़।
– बालेश त्रिपाठी- पूर्व जपं उपाध्यक्ष, कांग्रेस नेता।
– प्रशांत पांडेय – आम आदमी पार्टी के नेता, क्षेत्र में सक्रिय
ब्राह्मण, पटेल मतदाता ज्यादा हैं। अल्पसंख्यक वोट समीकरण में प्रभावी भूमिका अदा करते हैं। जाति समीकरण पर ही टिकट तय होना है। चुनौतियां
– क्षेत्र का विकास व बेरोजगारी बड़ा मुद्दा।
– कांगे्रस से ज्यादा बसपा मजबूत। डमी कैंडिडेट उतार समीकरण बिगाड़े जाएंगे
– तबीयत खराब होने से क्षेत्र में सक्रियता कम हुई।
– सड़क निर्माण सहित स्थानीय मुद्दों के निराकरण की गति धीमी रही। मुद्दों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पांच साल तक केवल राजनीतिक लाभ लिए गए।
– रोहितकांत, समाजसेवी