जानकारी के अनुसार, एमएलबी स्कूल में पढऩे वाली कक्षा 12वीं की छात्रा उन्नति खरे पिता प्रवीण खरे का जब कक्षा 12वीं का परिणाम आया तो उन्हें हिन्दी विषय की थ्योरी में कुल 56 अंक दिए गए थे। इन अंकों सहित छात्रा को पूर्णांक 500 में से 431 अंक मिले। लेकिन छात्रा उन्नति को यह विश्वास था कि उसके पेपर काफी अच्छे गए हैं और उन्हें 56 से ज्यादा अंक मिलने चाहिए।
उन्नति के आत्मविश्वास को देखते हुए उनके अभिभावकों ने उनकी उत्तर पुस्तिका की कॉपी बोर्ड से निकलवाई। उत्तर पुस्तिका सामने आने पर पता चला कि मूल्यांकनकर्ता ने टैबुलेशन में गड़बड़ी कर दी थी और 20 अंक जोड़ में कम करते हुए उन्हें 56 अंक दिए थे जबकि उन्नति को उत्तरवार मिले अंकों का जोड़ 76 हो रहा था।
छात्रा ने उत्तर पुस्तिका के अवलोकन में पाया कि हर पेज के उपर पिछले पेज का टोटल और चालू पेज में मिले अंक सहित दोनों को जोड़ लिखा जाता है, लेकिन 12वें पेज में मूल्यांकनकर्ता ने गड़बड़ी कर दी। इस पेज में 11वें पेज का टोटल 58 और चालू पेज का निल अंक का योग उसने 38 लिख दिया। इसके बाद अगले पेज में 38 के आधार पर अंक जोडऩे शुरू कर दिये।
3 साल के लिए होंगे बैन
मामले में एमएलबी की प्राचार्य कुमकुम भट्टाचार्य ने बताया कि रिटोटलिंग में अब छात्रा के अंक सही हो जाएंगे और उन्हें सही अंक की मार्कशीट भी मिलेगी। साथ ही मंडल के नियमानुसार मूल्यांकनकर्ता को फाइन लगने के साथ ही तीन साल के लिये मूल्यांकन से वैन किया जाएगा।