अपर मुख्य सचिव अध्यात्म एवं पशुपालन विभाग ने 15 नवंबर को कलेक्टर से राम वन गमन पथ सहित 84 कोसी परिक्रमा विकास को लेकर पूरी रिपोर्ट तलब की थी। राजधानी में सरकार स्तर पर इस प्रोजेक्ट को जिस गंभीरता से लिया जा रहा है, उसे लेकर शासन के अधिकारी सक्रिय हो गए है। इस निर्देश के बाद जिला स्तर से जानकारी तलब की जाने लगी है। इस परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने इसका प्लान और अब तक किये जा चुके कामों का ब्यौरा एसीएस को भेजा है।
जो विकास कार्य शासन स्तर से कराए जाने प्रस्तावित बताए गए हैं उनमें भरतघाट में पार्किंग व शेड निर्माण 2.24 करोड़, चित्रकूट प्रवेश की चारों दिशाओं में चार प्रवेश द्वार 2.48 करोड़, जानकी कुण्ड के सामने शॉपिंग कॉम्पलेक्स एवं रैन बसेरा 2.78 करोड़, गुप्त गोदावरी मार्ग चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण 90.79 लाख, पर्यटक बंगला चौराहा विकास 16 लाख, पुरानी लंका तिराहा विकास 12.20 लाख के काम भेजे गए गए हैं। कुल 8.68 करोड़ के इन कामों का प्रस्ताव कलेक्टर ने शासन को भेजा है। इसके अलावा कामदगिरी परिक्रमा मार्ग शेड निर्माण का 11.077 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। जो स्वीकृति के लिए लंबित है।
मिनी स्मार्ट सिटी के 12 करोड़ से ज्यादा के स्वीकृत कामों की जानकारी भी एसीएस को भेजी गई है। इसमें रजौला बाइपास, जलकल विभाग के सामने शॉपिंग काम्पलेक्स, परिक्रमा मार्ग में मेला कंट्रोल रूम, यात्री निवास व पार्किंग व सती अनुसुइया में दुकान निर्माण के अलावा जानकी कुण्ड एवं स्फटिक शिला में घाट सौंदर्यीकरण का काम बताया गया है।
राम वन गमन पथ, कामताथ कॉरिडोर व 84 कोसीय परिक्रमा में आने वाले जिन धार्मिक और दर्शनीय स्थलों का विकास कार्य होना है उनमें कामदगिरि पर्वत व परिक्रमा पथ, मंदाकिनी नदी पर भरत घाट व राघव प्रयाग घाट, स्फटिक शिला, गुप्ता गोदावरी, अत्रि आश्रम, सरभंग आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, हनुमानधारा सहित सती अनुसुइया, प्रमोद वन, टाठी घाट, सबरी जलप्रपात, अश्वमुखी मंदिर, रामशैल, सीता चरण चिन्ह, पुष्प श्रृंगार स्थली आदि शामिल हैं। इन सबका सामूहिक विकास का प्रस्ताव कलेक्टर ने भेजा है।
उधर, स्थानीय लोगों का कहना है कि चित्रकूट का 70 फीसदी हिस्सा मध्यप्रदेश के हिस्से आता है। लेकिन, देश-विदेश में अभी भी चित्रकूट को उत्तर प्रदेश के हिस्से में जाना और पहचाना जाता है। इस संबंध में बताया जा रहा कि मध्यप्रदेश में चित्रकूट को अपने हिस्से में होने की कभी प्रभावी ब्राडिंग ही नहीं की गई। इससे बड़ा तथ्य क्या होगा कि चित्रकूट में एक भी शासकीय भवन, स्कूल, थाना आदि चित्रकूट नाम से नहीं है।