उत्तर: अभी तक सतना की राजनीति में जाति-धर्म का समीकरण हावी रहता था। पहला मौका है, जब चुनाव जाति-धर्म और कट्टरता पर नहीं लड़ा जा रहा है। इसकी मुख्य वजह मैं हूं। विकास पर चर्चा हो रही, मुद्दे को लेकर जनता मुखर है। इस विश्वास पर जनता से वोट मांग रहा हूं।
उत्तर: युवा व अनुभवी चेहरे की बात नहीं है। पहली बात समझनी होगी कि हमारे शहर की पहचान हो। यह तब होगा, जब विकास के मुद्दों पर काम होगा। जनता के काम होंगे। अभी तक जो नेता जीतकर आए, उन्होंने जनता को दरकिनार कर परिवार को महत्व दिया। जो उनके राजनीतिक साथी थे, वे भी दूरी बना चुके हैं। मेरे लिए परिवार से पहले जनता की प्राथमिकताएं है। उनकी समस्या पहले है। सभी को साथ लेकर चलना है। इसी आधार पर जीत का रास्ता तय होगा।
उत्तर: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, कुछ लोग व्यक्तिगत कारणों से अभी तक प्रचार के दौरान नहीं दिख पा रहे थे। वे शहरी क्षेत्र में आने पर आपको दिखेंगे। पूरी पार्टी एकजुट है, कहीं कोई गुटबाजी नहीं है। मैं युवा हूं, पर पार्टी के वरिष्ठों का सम्मान करता हूं, सभी को साथ लेकर चल रहा हूं।
उत्तर: सरकार लोगों का काम करने के लिए बनती है। विधायक की जिम्मेदारी सरकार तक क्षेत्र की बात ले जाना है, जो मैं हमेशा करूंगा। हमारी सरकार होगी, तो आसानी होगी। भाजपा की सरकार में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। पर मुझे कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। पिछली बार भाजपा के पक्ष में माहौल था, जनता कांग्रेस की बात सुनना ही नहीं चाह रही थी। लोकसभा में भी ऐसा हुआ, लोग बिना प्रत्याशी देखे भाजपा के साथ जा रहे थे, पर इस बार माहौल कांग्रेस के पक्ष में है।
उत्तर:
1- पहली प्राथमिकता हराभरा सतना है। विकास के नाम पर पेड़ों का कत्लेआम हुआ, छाव नहीं मिलती।
2- दूसरा साफ शहर व पीने योग्य पानी।
3- तीसरी प्राथमिकता 30-50 साल के मद्देनजर यातायात व्यवस्था। अभी जाम से लोग परेशान है, शहर की ट्रेफिक डिजाइन गलत है। स्कूली बच्चे, कार के साथ पैदल चलने वाले भी सुरक्षित नहीं हैं।
4- चौथी प्राथमिकता जिला अस्पताल की सुविधाओं को बेहतर करना। अभी ढंग का आइसीयू तक नहीं है।
5- पांचवीं प्राथमिकता नशामुक्ति है, शराब से अपराध बढ़ रहा है, लूट जैसी घटनाएं हो रही हैं। जिले में शराब का ठेका 1-2 करोड़ में होता था, अब एक दुकान का ठेका 15-20 करोड़ का है। विकास के लिए नशामुक्ति जरूरी है।
उत्तर: यह जनता का काम है, मैं अपनी टीम के साथ अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचाने का काम रहा हूं। 12 क्या, 22 फीसदी के अंतर को भी पाट सकते हैं। लगातार लोगों को जोड़ रहे हैं। हमारे मुद्दों पर लोग भरोसा कर रहे हैं।