जिले के 15 कॉलेजों को लीड करने की जिम्मेदारी शहर के अग्रणी महाविद्यालय की है। लेकिन, यहां अराजकता का माहौल है। यहां पदस्थ विभागीय अमले के पास किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। जबकि, छात्र अभी से पूछताछ के लिए कॉलेज में पहुंच रहे है। ऐसा ही कुछ गुरुवार को सामने आया। एक छात्र सीट और प्रवेश संबंधी जानकारी लेने के लिए कॉलेज पहुंचा तो उसे जानकारी नहीं मिल पाई। कॉलेज से जवाब मिला कि जब सबकुछ ऑनलाइन है तो हमें क्या जरूरत है अपने पास जानकारी रखने की। यह बेतुका जवाब सुन छात्र चुपचाप लौट आया।
कॉलेजों में सीट की कमी और छात्र संख्या ज्यादा होने के कारण छात्र प्रवेश के लिए कॉलेज-कॉलेज चक्कर काटते हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पिछले वर्ष भी बनी थी। छात्रों की परेशानी को देखते हुए बाद में कुछ कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई गई थी। ऐसे ही हालात इस वर्ष भी बन रहे हैं।
जिले के कॉलेज प्राध्यापकों की कमी से जूझ रहे हैं। अतिथियों के सहारे यहां छात्रों का भविष्य संवारा जाता है। उधर, कॉलेज अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। अर्थात यहां आज भी परम्परागत कोर्स ही संचालित हैं। रोजगार मूलक कोर्स नहीं शुरू किए जा सके हैं। ऐसे में छात्रों को निजी कॉलेज और अन्य शहरों की ओर रुख करना पड़ता है।
सत्र 2017-18 की हायर सेकंडरी परीक्षा में 22 हजार से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 13,364 छात्र उत्तीर्ण रहे। सीबीएसइ और आइएससी बोर्ड के नतीजे भी सरकारी कॉलेजों की सीटों में प्रवेश की मारामारी बढ़ाने का काम करेंगे। साथ ही 2,834 छात्र रुक जाना नहीं की परीक्षा देकर कॉलेज में प्रवेश की कोशिश करेंगे। ऐसे में छात्र और अभिभावकों की टेंशन बढऩा तय है।
सीटों की स्थिति
डिग्री कॉलेज 3150
कन्या महाविद्या. 2070
अमरपाटन 810
मैहर 2400
जैतवारा 80
नागौद 620
उचेहरा 200
रामनगर 200
रामपुर बघेलान 150
खजुरीताल 80
मझगवां 150
अमदरा 200
बदेरा 200
बिरसिंहपुर 60
नादन 60
कुल 10430