विन्ध्य में यूं आई सियासी आंधी
हार्स ट्रेडिंग के चल रहे हाई पॉलिटिकल ड्रामे के बीच रात 10 बजे जैसे ही खबर सोशल मीडिया में वायरल हुई कि सीएम हाउस में विधानसभा अध्यक्ष की मौजूदगी के बीच नारायण त्रिपाठी सीएम हाउस पहुंचे हैं वैसे ही सतना सहित विन्ध्य की राजनीतिक हलचल एकाएक तेज हो गई। हालात यह हो गई कि त्रिपाठी से जुड़े लोगों के फोन अचानक घनघनाने लगे और हर कोई यह पता करने की कोशिश में जुट गया कि क्या नारायण इस्तीफा देने पहुंचे हैं। सोशल मीडिया की कयासबाजी को पुख्ता खबर का रूप देने की कोशिश में लगे लोगों की धड़कने तब और बढ़ गई जब एक मैसेज फिर से वायरल हुआ कि नारायण ने इस्तीफा दे दिया है। नारायण के फ्लोर मैनेजरों ने अपुष्ट सी खबर यह भी दी कि नारायण जहां रुके हुए हैं वहां आलमारी तोड़ कर उनका लेटर हेड निकाला गया है और उसमें इस्तीफा लिख कर ले जाया गया है। काफी देर तक यह खबर भी विन्ध्य में वायरल होती रही। इस दौरान तक सरकारी मशीनरी की भी नींद टूट चुकी थी और वह भी इस खबर पर अपनी आंखे गड़ाते हुए इसकी पुष्टि के लिये अपने स्तर पर प्रयास करने में जुट गई थी। नारायण के इस्तीफे का सोशल मीडिया का ड्रामा और आगे बढ़ता इससे पहले लगभग 12 बजे सीएम हाउस से बाहर निकले नारायण ने खुद ही मीडिया के सामने आकर इस्तीफे से स्पष्ट इंकार करते हुए कयासबाजियों को विराम लगाया। लेकिन अपने बयान में वे शक और संदेह भी छोड़ कर आगे बढ़ गये।
हार्स ट्रेडिंग के चल रहे हाई पॉलिटिकल ड्रामे के बीच रात 10 बजे जैसे ही खबर सोशल मीडिया में वायरल हुई कि सीएम हाउस में विधानसभा अध्यक्ष की मौजूदगी के बीच नारायण त्रिपाठी सीएम हाउस पहुंचे हैं वैसे ही सतना सहित विन्ध्य की राजनीतिक हलचल एकाएक तेज हो गई। हालात यह हो गई कि त्रिपाठी से जुड़े लोगों के फोन अचानक घनघनाने लगे और हर कोई यह पता करने की कोशिश में जुट गया कि क्या नारायण इस्तीफा देने पहुंचे हैं। सोशल मीडिया की कयासबाजी को पुख्ता खबर का रूप देने की कोशिश में लगे लोगों की धड़कने तब और बढ़ गई जब एक मैसेज फिर से वायरल हुआ कि नारायण ने इस्तीफा दे दिया है। नारायण के फ्लोर मैनेजरों ने अपुष्ट सी खबर यह भी दी कि नारायण जहां रुके हुए हैं वहां आलमारी तोड़ कर उनका लेटर हेड निकाला गया है और उसमें इस्तीफा लिख कर ले जाया गया है। काफी देर तक यह खबर भी विन्ध्य में वायरल होती रही। इस दौरान तक सरकारी मशीनरी की भी नींद टूट चुकी थी और वह भी इस खबर पर अपनी आंखे गड़ाते हुए इसकी पुष्टि के लिये अपने स्तर पर प्रयास करने में जुट गई थी। नारायण के इस्तीफे का सोशल मीडिया का ड्रामा और आगे बढ़ता इससे पहले लगभग 12 बजे सीएम हाउस से बाहर निकले नारायण ने खुद ही मीडिया के सामने आकर इस्तीफे से स्पष्ट इंकार करते हुए कयासबाजियों को विराम लगाया। लेकिन अपने बयान में वे शक और संदेह भी छोड़ कर आगे बढ़ गये।
यह कहा नारायण ने
सीएम हाउस से बाहर निकले मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने मीडिया के कैमरे के आगे कहा कि कौन क्या कह रहा है वे नहीं जानते हैं। मेरे बारे में मुझसे बात कीजिए। मैं कोई इस्तीफा नहीं दिया। मैं मुख्यमंत्री जी से मिलने गया। दो बार आ गया। उनसे मिला, मिलकर बात करके अभी निकल कर जा रहा हूं। मेरे यहां जो तमाम काम हैं उन कामों की चर्चा किया। बात किया। बात करके जा रहा हूं। मीडिया के बीजेपी के साथ होने के सवाल पर नारायण ने दोहराया कि वे सीएम से मिलकर आ रहे हैं। इस्तीफे की कोई बात नहीं है। अपने मैहर के तमाम कामों की बात किया। मीडिया के सवाल कि त्रिपाठी जी की निष्ठा किसके साथ है पर उनका सधा हुआ जवाब फिर आया कि सर्व धर्म समभाव… वसुधैव कुटुम्बकम् … जो इसकी चर्चा करता है उसके साथ हूं। कुल मिलाकर बीजेपी या कांग्रेस के साथ में किस ओर हैं के मामल में उन्होंने स्पष्ट कुछ नहीं कहा। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सर्व धर्म समभाव की बात कहकर नारायण ने कांग्रेस के खेमे में होने का इशारा किया है। बहरहाल नारायण ऐन वक्त पर कहां होंगे इसको लेकर कुछ अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है और शक और संदेह का बादल अपने पीछे छोड़कर उन्होंने चुप्पी साध ली है।
सीएम हाउस से बाहर निकले मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने मीडिया के कैमरे के आगे कहा कि कौन क्या कह रहा है वे नहीं जानते हैं। मेरे बारे में मुझसे बात कीजिए। मैं कोई इस्तीफा नहीं दिया। मैं मुख्यमंत्री जी से मिलने गया। दो बार आ गया। उनसे मिला, मिलकर बात करके अभी निकल कर जा रहा हूं। मेरे यहां जो तमाम काम हैं उन कामों की चर्चा किया। बात किया। बात करके जा रहा हूं। मीडिया के बीजेपी के साथ होने के सवाल पर नारायण ने दोहराया कि वे सीएम से मिलकर आ रहे हैं। इस्तीफे की कोई बात नहीं है। अपने मैहर के तमाम कामों की बात किया। मीडिया के सवाल कि त्रिपाठी जी की निष्ठा किसके साथ है पर उनका सधा हुआ जवाब फिर आया कि सर्व धर्म समभाव… वसुधैव कुटुम्बकम् … जो इसकी चर्चा करता है उसके साथ हूं। कुल मिलाकर बीजेपी या कांग्रेस के साथ में किस ओर हैं के मामल में उन्होंने स्पष्ट कुछ नहीं कहा। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सर्व धर्म समभाव की बात कहकर नारायण ने कांग्रेस के खेमे में होने का इशारा किया है। बहरहाल नारायण ऐन वक्त पर कहां होंगे इसको लेकर कुछ अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है और शक और संदेह का बादल अपने पीछे छोड़कर उन्होंने चुप्पी साध ली है।
राहुल खेमे में पेशानी पर बल
जिस तरीके से राजधानी में राजनीति लगातार करवट बदल रही है और नारायण के सीएम हाउस जाने की खबर आई है उसके साथ ही इन दिनों हाशिये पर चल रहे विन्ध्य के क्षत्रप माने जाने वाले अजय सिंह के खेमे में हलचल बढ़ गई है। अजय सिंह के धुर विरोधी माने जाने वाले नारायण की प्रदेश सरकार की आपात स्थितियों के बीच नारायण से निकटता को लेकर सतना कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा पचा नहीं पा रहा है। क्योंकि नारायण त्रिपाठी लगातार अजय सिंह की राजनीति में राहु बनकर सामने आते रहे हैं। सतना लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नारायण ने कांग्रेस छोड़ जिस तरीके से भाजपा का दामन थामा था और उस वक्त अजय सिंह की हार का ठीकरा अपने सिर लिया था तब से नारायण और अजय में 36 का आंकड़ा है। अजय सिंह के धुरविरोधी हो चुके नारायण के मैहर उपचुनाव में जिस तरीके से अजय सिंह ने पर्दे के पीछे नारायण को हराने में पूरी ताकत झोंकी थी, लेकिन इसके बाद भी नारायण ने जीत का परचम फहराने में कामयाब रहे। नतीजा यह रहा कि उन्होंने अपनी जीत का जश्र काफिले सहित चुरहट पहुंच कर मनाया था। ऐसे में राहुल खेमे इस घटनाक्रम पर काफी करीब नजर रखे हैं। इधर सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा से भी इन दिनों राहुल की तल्खी चलने के कारण सिद्धार्थ समर्थक भी इस राजनीतिक पैंतरे बाजी में ‘न्युटल’ की भूमिका में नजर आए लेकिन समर्थकों के चेहरे में खुशी की लकीरें भी देखी गईं।
जिस तरीके से राजधानी में राजनीति लगातार करवट बदल रही है और नारायण के सीएम हाउस जाने की खबर आई है उसके साथ ही इन दिनों हाशिये पर चल रहे विन्ध्य के क्षत्रप माने जाने वाले अजय सिंह के खेमे में हलचल बढ़ गई है। अजय सिंह के धुर विरोधी माने जाने वाले नारायण की प्रदेश सरकार की आपात स्थितियों के बीच नारायण से निकटता को लेकर सतना कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा पचा नहीं पा रहा है। क्योंकि नारायण त्रिपाठी लगातार अजय सिंह की राजनीति में राहु बनकर सामने आते रहे हैं। सतना लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नारायण ने कांग्रेस छोड़ जिस तरीके से भाजपा का दामन थामा था और उस वक्त अजय सिंह की हार का ठीकरा अपने सिर लिया था तब से नारायण और अजय में 36 का आंकड़ा है। अजय सिंह के धुरविरोधी हो चुके नारायण के मैहर उपचुनाव में जिस तरीके से अजय सिंह ने पर्दे के पीछे नारायण को हराने में पूरी ताकत झोंकी थी, लेकिन इसके बाद भी नारायण ने जीत का परचम फहराने में कामयाब रहे। नतीजा यह रहा कि उन्होंने अपनी जीत का जश्र काफिले सहित चुरहट पहुंच कर मनाया था। ऐसे में राहुल खेमे इस घटनाक्रम पर काफी करीब नजर रखे हैं। इधर सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा से भी इन दिनों राहुल की तल्खी चलने के कारण सिद्धार्थ समर्थक भी इस राजनीतिक पैंतरे बाजी में ‘न्युटल’ की भूमिका में नजर आए लेकिन समर्थकों के चेहरे में खुशी की लकीरें भी देखी गईं।
हमेशा सत्ता के साथ
सतना की राजनीति के जानकारों की माने तो नारायण हमेशा सत्ता के साथ रहने के आदी रहे हैं। या तो वे सत्ता में रहे या सत्ता के साथ रहकर राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे हैं।दल बदलने में माहिर नारायण समाजवादी पार्टी से राजनीति की मलाई का स्वाद लिया तो कांग्रेस में आकर सत्ता सुंदरी के गलियारे का आनंद उठाया। फिर भाजपा में शामिल होकर सत्ता से गलबहिया करते नजर आए। इस बार भाजपा के सत्ता से बाहर होते ही शुरू से ही असहज नजर आने वाले नारायण ने फिर पैंतरा बदला और कई बार कांग्रेस के गलियारे में उनकी दस्तक सुनाई देती रहीं। न तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकडऩे से इंकार किया न ही स्वीकार किया। कुल मिलाकर दोनों हाथों में लड्डू लेकर राजनीतिक मंच पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करते नजर आ रहे हैं। लेकिन हर बार उनका मैहर विकास का राग पूरी तरन्नुम से सुनाई देता है।
सतना की राजनीति के जानकारों की माने तो नारायण हमेशा सत्ता के साथ रहने के आदी रहे हैं। या तो वे सत्ता में रहे या सत्ता के साथ रहकर राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे हैं।दल बदलने में माहिर नारायण समाजवादी पार्टी से राजनीति की मलाई का स्वाद लिया तो कांग्रेस में आकर सत्ता सुंदरी के गलियारे का आनंद उठाया। फिर भाजपा में शामिल होकर सत्ता से गलबहिया करते नजर आए। इस बार भाजपा के सत्ता से बाहर होते ही शुरू से ही असहज नजर आने वाले नारायण ने फिर पैंतरा बदला और कई बार कांग्रेस के गलियारे में उनकी दस्तक सुनाई देती रहीं। न तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकडऩे से इंकार किया न ही स्वीकार किया। कुल मिलाकर दोनों हाथों में लड्डू लेकर राजनीतिक मंच पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करते नजर आ रहे हैं। लेकिन हर बार उनका मैहर विकास का राग पूरी तरन्नुम से सुनाई देता है।
नारायण से पत्रिका के पांच सवाल प्रश्न- आपके सीएम हाउस जाने पर सियासी पारा गर्म है क्या कहना है?
उत्तर – मुझे लेकर सियासी पारा हमेशा गर्म रहता है। राजनीति तो गर्म की है ही। मैं सीएम हाउस हमेशा जाता रहता हूं जब भी कोई काम होता है। आज ही दिल्ली से लौटा था। मेरे तमाम काम थे। इसलिये सीएम से मिलने चला गया। कोई विधायक अगर मुख्यमंत्री के पास नहीं जाएगा तो कहां से राजनीति करेगा।
उत्तर – मुझे लेकर सियासी पारा हमेशा गर्म रहता है। राजनीति तो गर्म की है ही। मैं सीएम हाउस हमेशा जाता रहता हूं जब भी कोई काम होता है। आज ही दिल्ली से लौटा था। मेरे तमाम काम थे। इसलिये सीएम से मिलने चला गया। कोई विधायक अगर मुख्यमंत्री के पास नहीं जाएगा तो कहां से राजनीति करेगा।
प्रश्न- किन मुद्दों पर सीएम से बात हुई
उत्तर- मैहर को जिला बनाना है। मैहर की पांच सिंचाई योजनाएं चालू कराना है जो बरगी से इतर होंगी। इन छोटी छोटी योजनाओं से किसानों को फायदा मिलना है। सामाजिक धर्मशालाओं को बनवाना है। मैहर के विकास के लिये लगातार मिलना रहा आया है और रहा आएगा।
उत्तर- मैहर को जिला बनाना है। मैहर की पांच सिंचाई योजनाएं चालू कराना है जो बरगी से इतर होंगी। इन छोटी छोटी योजनाओं से किसानों को फायदा मिलना है। सामाजिक धर्मशालाओं को बनवाना है। मैहर के विकास के लिये लगातार मिलना रहा आया है और रहा आएगा।
प्रश्र- दो दिनों से हार्स ट्रेडिंग के पालिटिकल ड्रामे के बीच इस मुलाकात को किस नजरिये से लिया जाए?
उत्तर- नारायण त्रिपाठी को कोई खरीद नहीं सकता इसकी चुनौती देता हूं। मैं बिकने वाली चीज नहीं हूं। मैहर के विकास के लिये निर्भीक ढंग से जाता हूं। गोपनीय नहीं आया। खुद प्रेस से मिला। चाहता तो दूसरे रास्ते से जा सकता था। सीएम निवास के चेम्बर में अलग से मुलाकात किया। कुल ५ से ७ मिनट की मुलाकात हुई है मेरी।
उत्तर- नारायण त्रिपाठी को कोई खरीद नहीं सकता इसकी चुनौती देता हूं। मैं बिकने वाली चीज नहीं हूं। मैहर के विकास के लिये निर्भीक ढंग से जाता हूं। गोपनीय नहीं आया। खुद प्रेस से मिला। चाहता तो दूसरे रास्ते से जा सकता था। सीएम निवास के चेम्बर में अलग से मुलाकात किया। कुल ५ से ७ मिनट की मुलाकात हुई है मेरी।
प्रश्न- अगर मौजूदा प्रदेश सरकार पर संकट आता है तो क्या आप कांग्रेस का साथ देंगे?
उत्तर- हम लोग संकट मोचक थोड़ी है। छोटे मोटे आदमी है। गांव घर के गरीब लोग हैं। न हमारी जाति न धर्म सिर्फ मैहर का विकास।
उत्तर- हम लोग संकट मोचक थोड़ी है। छोटे मोटे आदमी है। गांव घर के गरीब लोग हैं। न हमारी जाति न धर्म सिर्फ मैहर का विकास।
प्रश्न- मैहर के विकास के लिये कांग्रेस का दामन थामना पड़े तो थामेंगे?
उत्तर- सीएम किसी दल का नहीं होता। कोई भी दल का आदमी सीएम के पास जाएगा तो उन्हें सुनना पड़ता है।
उत्तर- सीएम किसी दल का नहीं होता। कोई भी दल का आदमी सीएम के पास जाएगा तो उन्हें सुनना पड़ता है।