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सतना

प्रचार- प्रसार के अभाव में एेतिहासिक धरोहरों को लेकर लोगों में रूचि नहीं

नेशनल म्यूजियम डे:शासन की उपेक्षा के कारण दमतोड़ रहा म्यूजियम

सतनाMay 25, 2019 / 10:04 pm

Jyoti Gupta

National Museum Day

National Museum Day

सतना. शहर से 16 किलोमीटर दूर स्थित रामवन म्यूजिम देखने में शानदार है। यह एक पुरातत्‍व संग्रहालय है और सतना पर्यटन में इस स्‍थल का काफ ी महत्‍व है। इस संग्रहालय को 1977 में स्‍थापित किया गया। इस संग्रहालय को तुलसी संग्रहालय के अलावा, तुलसी म्‍यूजियम के नाम से भी जाना जाता है। जब आप इस म्यूजियम के अंदर प्रवेश करेंगे तो टेरीकोटा, ब्रिच आर्क, पॉम लीफ यानि ताड़ के पत्‍तों से बनी विभिन्‍न चीजें, सुंदर मूर्तियां देखने को मिलेंगी। साथ ही इस संग्रहालय में दुर्लभ सिक्‍के, तांबे की प्‍लेट, सोने और चांदी की मूर्तियां भी आकर्षण का केंद्र है। समस्या यह नहीं कि हमारे शहर में एक ही म्यूजियम है, समस्या यह है कि शहर के लोग जागरूकता के अभाव के चलते रामवन का विजिट तो करते हैं, वहां पिकनिक मनाते हैं, घंटो समय बिताते हैं जमकर सेल्फी लेते हैं पर इन दुलर्भ चीजों को देखने के लिए म्यूजियम के अंदर नहीं जाते। शहर के लोगों से जब रामवन म्यूजियम के बारे में पूछा गया तो ज्यादातर ने रामवन में घूमने की बात कही पर म्यूजियम के बारे में किसी को अधिक जानकारी ही नहीं। कुछ ने तो सीधे सीधे कहा कि वहां म्यूजियम भी है इसकी जानकारी ही नहीं है। कुछ ने कहा कि समय ही नहीं मिला और कुछ का कहना है कि लोगों में म्यूजियम को लेकर कोई जागरूकता ही नहीं। उनका कहना है कि अगर पुरातत्व विभाग रामवन म्यूजियम का प्रसार प्रसार करें तो शायद लोगों में एेतिहासिक धरोहर व वस्तुओं को देखने और जानने ललक जगेगी।

भरहुत चित्रकला मूर्ति म्यूजियम में भरहुत स्तूप का संवर रहा इतिहास

शहर के बस स्टैंड के पीछे ही भरहुत चित्रकला मूर्ति म्यूजियम है। इस म्यूजियम में भरहुत स्तूप की वास्वतिक इतिहास का पता चलता है। यहां पर भरहुत स्तूप की ड्राइंग, पेटिंग, प्रस्तर अनुकृतिया, शिलालेख, मोनोग्राम, फोटो एल्बम और खास तौर पर भरहुत पर बनी हुई डाक्यूमेंट्री फिल्म लोग देख कर भरहुत स्तूप खंडकाल के बारे में जान सकते हैं। भरहुत की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, गौतम बुद्ध का विंध्य से क्या नाता रहा इसके बारे में जाना सकता है। इस म्यूजियम की स्थापना सुद्युम्नाचार्य द्वारा २००८ को किया गया था। म्यूजियम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए सुद्युम्नाचार्य द्वारा स्कूल, कॉलेज, साभाआें में जाकर भाषण दिया जाता है। संगोष्ठी आयोजित की जाती है। साल में छह पर बार संस्था में ही वर्कशॉप आयोजित किया जाता है। ताकि शहर के अधिक से अधिक लोग एेतिहासिक, धार्मिक महत्व वाले भरहुत स्तूप का इतिहास जान सकें ।
घर में ही बना लिया संग्रहालय
ठाकुर खिलवानी की शहर के ठाकुर खिलवानी तो वर्तमान में 62 वर्ष के हैं। इन्होंने अपने घर को छोटा म्यूजियम बना कर रखा हुआ है। उनका कहना है कि जब वह 13 वर्ष के थे, तभी से अनूठी कलाकृतियां व दूसरी वस्तुओं का संग्रह करना शुरू कर दिया था। उनकी घर की लाइब्रेरी में दुर्लभ किताबे, पत्र पत्रिकाओं की कटिंगों की 500 फ ाइलें मौजूद हैं। उनके संग्रह में नोट सिक्के, डाक टिकटे, गणेश जी वाले शादी के कार्ड, हस्ताक्षर, आटोग्राफ , महापुरुषों के पत्र, लिपियों में भारत की 15 भाषाएं चीन, जापान, रूस और सिन्धु घाटी की सभ्यता तक की लिपियां उनके घर में हैं। ताश के जोकर, माचिस के रैपर मौजूद है। यही नहीं वे सेंट्रल इंडिया फि लाटेलिक सोसायटी सतना का जनसम्पर्क अधिकारी है। और शहर की आर्ट गैलरी में सन 2002 से संग्रह लगाते आ रहे हैं। ताकि नई पीढ़ी को एेतिहासिक वस्तुओं से जोड़ा जा सके।

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