सतना

अब पांच साल तक खाली छोड़ा खेत तो हो जाएंगे सरकार के

भू-राजस्व संहिता में संशोधन: तहसीलदार लेंगे कब्जाधारा 175 के बाद अंत: स्थापित की गई धारा 176

सतनाFeb 18, 2020 / 12:54 am

Ramashankar Sharma

Now the fields left vacant for five years will become the government’s

सतना. खेत को पांच साल तक के लिए खाली छोड़ना अब आपको महंगा पड़ सकता है। यदि ऐसा आप करते हैं तो पांच साल बाद आपके खेत सरकार के हो जाएंगे। दरअसल, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता में शासन ने कुछ ऐसा ही बदलाव किया है। इससे किसानों के सामने बड़ी दुविधा आ गई है। संशोधन में तय किया गया कि किसी खेत में अगर पांच साल तक खेती नहीं की जाती है और उसे खाली छोड़ा जाता है तो वह जमीन सरकारी हो जाएगी। तहसीलदार आवश्यक होने पर ऐसी जमीन पर कब्जा ले लेंगे। यह बदलाव धारा १७५ के बाद धारा १७६ के अंत: स्थापन के तहत किया गया है। हालांकि पूर्व में भी इस तरह के प्रावधान थे, लेकिन सरकार ने इसका दुरुपयोग देखते हुए खत्म कर दिया था। अब एक बार फिर से इसे वापस जोड़ा गया है।
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता में किए गए इस प्रावधान का प्रकाशन राजपत्र में कर दिया गया है। इसके अनुसार मूल अधिनियम की धारा 175 के पश्चात धारा 176 के रूप में अंत: स्थापन किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया कि यदि कोई भूमि स्वामी, जो अपने खाते पर स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा पांच साल तक खेती नहीं करता है, भू-राजस्व का भुगतान नहीं करता है और उसने उस ग्राम (जिसमें कि वह सामान्यत: निवास करता है) को छोड़ दिया है, तो तहसीलदार ऐसी जांच के बाद आवश्यक समझने पर उस खाते में समाविष्ट भूमि का कब्जा ले लेंगे। इसका आशय यह है कि उस जमीन को शासकीय घोषित कर दिया जाएगा। इस स्थिति में एक बार में एक कृषि वर्ष की कालावधि के लिए भूमि स्वामी की ओर से पट्टे पर देकर खेती की व्यवस्था कर सकेगा। सामान्य भाषा में इसे समझे कि अगर किसी किसान ने अपना गांव छोड़ दिया है और पांच साल से खेत में खेती नहीं हो रही है और उसका लगान जमा नहीं किया गया तो उस जमीन को तहसीलदार अपने कब्जे में ले लेंगे।
इन शर्तों के तहत होगी वापस

जिस तारीख को तहसीलदार ने जमीन पर कब्जा किया है, उसके आगामी कृषि वर्ष से पांच साल की अवधि में भू-स्वामी या विधिक हकदार अपना दावा करता है और सभी बकाया भूमि शोध्यों का भुगतान कर देता है तो तहसीलदार शर्तों के तहत वह जमीन वापस कर देगा।
… तो सरकारी हो जाएगी जमीन
संशोधन में यह भी स्पष्ट किया गया कि अगर तय अवधि में कोई दावा प्रस्तुत नहीं होता या किया गया दावा नामंजूर कर दिया जाता है इसका प्रतिवेदन तहसीलदार अपने अनुविभागीय अधिकारी को सौंपेंगे। अनुविभागीय अधिकारी इसके बाद उस जमीन को परित्यक्त घोषित करते हुए सरकारी घोषित करेगा।

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