फन बदल गया बुरी आदत में मनोवैज्ञानिक डॉक्टर संगीता जैन का कहना है कि मोबाइल बच्चों के लिए गेम की तरह होता है। इस पर कई ऐसे ऐप होते हैं। बच्चे जिनके आदी बन जाते हैं। प्ले स्टोर पर टिक-टॉक के अलावा भी कई फ नी एेप है। जिन्हें यूजर टाइमपास के लिए डाउनलोड कर लेता है। पर यह गलत है इसका बुरा असर बच्चों पर पड़ रहा है। लगातार एेसे एेप के गिरफ्त में आना बुरी आदत बन जाती है। तब इंसान के सामने कई समस्याएं खड़ी होती हैं जो एक नशे की तरह होता है जिसे दूर रहना मुश्किल होता है।
गूगल प्ले स्टोर से हटाया मद्रास हाईकोर्ट के चीनी वीडियो शेयरिंग एेप टिक-टॉक के बैन के बाद गूगल ने इस ऐप को प्ले स्टोर से हटा दिया है। मद्रास हाई कोर्ट ने इस ऐप पर लगाए गए स्टे से इंकार कर दिया था। इसके बाद यह कदम उठाया गया। कोर्ट ने इस ऐप पर पोर्नोग्राफ ी कंटेंट को बढ़ावा देने के कारण बैन किया है। इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट ने 3 अप्रैल को केंद्र सरकार का निर्देश दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी ।
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सही फैसला कुछ दिनों से टिक- टॉक का गलत इस्तेमाल हो रहा था, कुछ यूजर मस्ती मजाक की बजाय फुहड़ता परोस रहे थे। इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। मेरे हिसाब से टिक टॉक को बंद करने का फैसला सही था।
आकांक्षा श्रीवास्तव, पुराना पॉवर हाउस – फोटो एसटी ६२ प्लस
——————– कुछ अधूरा सा लगेगा
जब से पता चला है कि टिक-टॉक बैन हो गया है। मन उदास है। हम सभी दोस्त मिलकर फनी वीडियों बनाते थे। जिनके लोग काफी पसंद भी करते थें। टिक -टॉक इंटरटेनमेंट का बेस्ट प्लेटफॉर्म है। एक्टिंग, सिंगिंग औ कमेडी करना का मौका मिलता था।
यश गुप्ता, धवारी – फोटो एसटी ६३ प्लस
अधूरा रह गया सपना आज के दौर में कॉफ ी कॉम्पिटिशन है। किसी को प्लेटफ ार्म मिलना आसान नहीं है। टिक-टॉक ने खुद का टैलेंट दुनिया को दिखाने का मौका दिया। मैंने भी अपनी कई वीडियों बनाकर शेयर किए। अब दुख हो रहा है।
सिद्धार्थ सिंह , निशांत विहार कॉलोनी