बता दें कि बेशकीमती रत्न हीरों के खनन के लिए विख्यात पन्ना जिले में मझगवां स्थित एनएनडीसी हीरा खनन परियोजना में हीरों का उत्पादन नए वर्ष 2021 के पहले दिन से बंद हो चुका है। हीरा खनन परियोजना संचालन की स्वीकृति अवधि 31 दिसंबर 2020 को समाप्त होने के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के निर्देश पर इसे तत्काल प्रभाव से पूरी तरह बंद करना पड़ा है।
पन्ना की हीरा खनन परियोजना की एनएमडीसी इकाई बंद हो जाने से उसमें काम में लगे सैकड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस संबध में मध्यप्रदेश राष्टीय हीरा खनन मजदूर संघ के महामंत्री समर बहादुर सिंह ने बताया कि इस हीरा खनन परियोजना में विभिन्न प्रकार से कार्यरत लगभग 600 से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। जिसमें मजदूर वर्ग से लेकर डीएव्ही पब्लिक स्कूल के कर्मचारी जो कि इस परियोजना द्वारा संचालित है। इसके अलावा सीआइएसएफ के जवान, सिक्योरिटी गार्ड के साथ-साथ अधिकारियों के घरों में काम करने वाले मजदूर वर्ग व मझगवां तथा पन्ना में स्थित दुकानदार भी प्रभावित होंगे। उन्होंने बताया कि परियोजना प्रबंधन द्वारा करोडों रूपए का व्यय जिले के विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है। यदि कंपनी बंद होती है तो यह भी पन्ना जिले के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहेगा।
एशिया महद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड हीरा खदान के बंद होने की खबर आने के बाद से ही पन्ना से लेकर राजधानी भोपाल और एनएमडीसी मुख्यालय हैदराबाद तक हड़कंप मचा है। उद्योग विहीन अति पिछड़े पन्ना जिले के हजारों लोगों के रोजगार के साथ जिले के विकास व पहचान से जुड़ी इस महत्पूर्ण परियोजना को आगे संचालित रखने के लिए समय रहते आवश्यक अनुमतियाँ न मिलने के कारण हीरों का उत्पादन बंद होने से स्थानीय लोग खासे चिंतित हैं। हीरा खदान को आवश्यक स्वीकृतियां दिलाने के मामले में प्रदेश सरकार के द्वारा बरती गई शिथिलता व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका को लेकर भी पन्ना के लोगों में गहरी नाराजगी व्याप्त है। मीडिया की सुर्खियों में बने इस मुद्दे पर उठ रहे गंभीर सवालों से प्रदेश सरकार की नींद आखिरकार टूट गई है।
मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि पन्ना स्थित एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खनन परियोजना को बंद नहीं होने दिया जाएगा। इसे निरंतर चालू रखने के लिए सभी आवश्यक पहलुओं पर विचार होगा। पन्ना स्थित हीरा खदान क्षेत्र के लोगों के रोजगार के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने के लिए बैठक आयोजित की जाए।
खजुराहो-पन्ना सांसद विष्णु दत्त शर्मा व खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह से अपने आवास पर चर्चा के दौरान ये बातें कहीं। दोनों ही जनप्रतिनिधि हीरा खनन परियोजना के बंद होने के दुष्परिणामों व इससे जुड़ी जिले के लोगों की चिंताओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए उनसे मिले थे। चर्चा के दौरान सीएम शिवराज ने माना कि हीरा खदान में उत्खनन पुनः शुरू होने से पन्ना जिले के लोगों को रोजगार उपलब्ध होने के साथ-साथ जिले का विकास होगा।
जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड एनएमडीसी खदान में वर्ष 1968 से लेकर अब तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस खदान में अभी भी 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन होना शेष है। ऐसी स्थिति में आगे खदान संचालन की अनुमति यदि नहीं मिलती तो अरबों रुपए कीमत के हीरे जमीन के भीतर ही दफन रह जाएंगे। इसका व्यापक दुष्परिणाम हजारों लोगों को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से मिल रहे रोजगार पर पड़ेगा। परियोजना के आसपास के क्षेत्र के लोगों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण वन भूमि पर स्थित हीरा खदान को संचालित रखने के लिए आवश्यक अनुमति की अवधि 31 दिसंबर 2020 को समाप्त हो जाने के कारण इसे 1 जनवरी 2021 से उत्खनन बंद कर दिया गया है। हीरा खनन परियोजना को आगे संचालित रखने के लिए आवश्यक स्वीकृति प्राप्त करने परियोजना प्रबंधन ने कई माह पूर्व ही आवेदन पत्र राज्य वन्य प्राणी बोर्ड तथा वन व पर्यावरण मंत्रालय में प्रस्तुत किए थे। लेकिन ये निर्णय के इंतजार में ये आज भी लंबित पड़े हैं।