जानकारी के अनुसार एसडीओपी आलोक शर्मा ने नेतृत्व में अजयगढ़ थाने की पुलिस ने रविवार-सोमवार की आधी रात करीब तीन बजे पुलिस की तीन पार्टियों ने एक साथ तीनों रेत खदान सुनहरा, जिगनी और चांदीपाठी में छापामार कार्रवाई शुरू की। कार्रवाई की आहट लगते ही कुछ मशीनें मौके का फायदा उठाकर भागने में सफल रहीं। कार्रवाई के दौरान सुनहरा रेत खदान से एक एलएनटी मशीन को अवैध रूप से रेत का उत्खनन करते हुए पकड़ा गया। जिसके जब्ती की कार्रवाई की गई। इसी दौरान जिगनी रेत खदान में भी पुलिस ने छापामार कार्रवाई की।
कार्रवाई के दौरान यहां काम कर रही मशीनें तुरंत समीपी जिला छतरपुर की सीमा में पहुंचकर कार्रवाई से बच गईं, जबकि यहां रेत भरने के लिए खड़े सात डंपरों को पकड़ लिया गया है। वहीं चांदापाटी की रेत खदान में भी एक अवैध रूप से काम कर रही एलएनटी मशीन को पकड़ा गया है। खदान क्षेत्रों में जेसीबी, पोकलैंड और एलएनटी जैसी भारी मशीनों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके बाद भी यहां हर कार्रवाई के दौरान भारी मशीनें पकड़ी जा रही हैं। मशीनों को खदान क्षेत्रों तक लाना भी इतना आसान नहीं होता है कि पुलिस और खनिज विभाग को हवा तक नहीं लग सके।
जिगनी रेत खदान में सत्ता पक्ष और विपक्ष से जुड़े नेताओं और क्षेत्रीय दबंगों द्वारा रेत का अवैध उत्खनन, अवैध परिवहन और अवैध विक्रय किया जा रहा है। बीते तीन सालों में ही इस खदान में करीब एक दर्जन एलएनटी जैसी भारी मशीनें पकड़ी जा चुकी हैं। जिनमें से कुछ मशीनों के राजसात करने की कार्रवाई चल रही है। इसके अलावा बीते मार्च के माह में ही यहां करीब आधा दर्जन बार छापामार कार्रवाई की गई। यह खदान पन्ना और छतरपुर की सीमा में होने के कारण लोगों ने नदी का बहाव रोककर उसमें अवैध रूप से पुल का निर्माण कर लिया है।
जिसका उपयोग वे कार्रवाई के दौरान बचने के लिए एक से दूसरे जिले की सीमा में जाने के लिये प्रयोग करते हैं। दो दिन पूर्व ही छतरपुर जिले की पुलिस ने जिगनी रेत खदान में ही छतरपुर क्षेत्र में रेत के हो रहे अवैध उत्खनन पर कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई के दौरान दो एलएनटी मशीनें पकड़ी गई थीं। दरअसल रेत के इस काले कारोबार में इतना अधिक रुपए है कि आए दिन की कार्रवाई के बाद भी इस काम में लगे लोग इसका मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। आए दिन मशीनें पकड़ी जा रही हैं। फिर भी कार्रवाई शुरू होने के चंद घंटों बाद ही फिर काला कारोबार उसी तरह से शुरू हो जाता है। इसी कारण से कई बार पुलिस की कार्रवाई पर औपचारिकता पूरी करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं।
गौरतलब है कि जिले में अजयगढ़ थाना क्षेत्र में कहने को तो आधा दर्जन वैधानिक रूप से रेत खदानें चल रही हैं, जबकि अवैध धदानों की संख्या दो दर्जन से भी अधिक हैं। धरमपुर थाना क्षेत्र में तो हालत यह है कि यहां एक भी वैधानिक खदान नहीं है इसके बाद भी यहां भी दो दर्जन से भी अधिक अवैध रेत खदानें चल रही हैं। अजयगढ़ क्षेत्र में रेत की मात्रा और क्वालिटी दोनों अच्छी होने के कारण यहां बड़े पैमानें पर भारी भरकम मशीनों से रेत का अवैध उत्खनन किया जाता है।
जबकि खदान क्षेत्रों में भारी मशीनों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यहां क्षेत्र में आए दिन बड़ी कार्रवाई होने के बाद भी करोड़ों का यह काला खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां होने वाले अवैध कारोबार को रोकना खनिज विभाग का प्राथमिक कर्तव्य होने के बाद भी यहां होने वाली अधिकांश कार्रवाई में पुलिस और राजस्व विभाग के ही अधिकारी शामिल होते हैं। इससे काले कारोबार में खनिज विभाग की भूमिका हमेशा संदिग्ध बनी रहती है।