सतना

करेंसी पेपर की तरह दिखने वाले कागजों की जांच होशंगाबाद पेपर सिक्योरिटी मिल में होगी

मैहर के रेलवे क्लॉक रूम से बैग में मिले बंडलों का मामला
खंडवा में आरोपी बालकदास की तलाश
मोबाइल की सर्विलांस जांच शुरू, सेंट्रल ट्रेजरी से जुड़े हो सकते हैं कागज

सतनाOct 21, 2019 / 12:24 am

Ramashankar Sharma

Papers that look like currency paper will be examined in Hoshangabad Paper Security Mill.

सतना. रेलवे स्टेशन मैहर के क्लॉक रूम में तीन महीने से रखे बैग में नोटों के आकार के कागज के सीलबंद बंडल मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। मामले की जांच कर रही जीआरपी ने इसे नोटों के आकार के छोटे-बड़े कागज होने की बात कही है पर पूरी तरह से करेंसी पेपर साइज से इनकार किया है। फिर भी परीक्षण के लिए इन पेपरों को संबंधित होशंगाबाद पेपर सिक्योरिटी मिल में भेजा जा रहा। उधर, मामले में आरोपी माने जा रहे बालकदास की पतासाजी के लिए टीम खंडवा भी भेजी गई है। क्लाक रूम में आरोपी ने अपना जो मोबाइल नंबर दिया था, उसे भी सर्विलांस में रख नंबर की कुंडली तलाशने का काम शुरू कर दिया है। इस मामले में रेलवे के लिपिकीय स्टाफ की भी खामी सामने आ रही। रेलवे के तय प्रोटोकॉल का पालन नहीं होना भी पाया जा रहा। बंडल में भारत सरकार की सील और ट्रेजरी का उल्लेख मिलने से सेंट्रल ट्रेजरी से भी इस मामले का पता किया जा सकता है।
मैहर बुकिंग कार्यालय के लॉकर में मिले कागजों की जांच के लिए जीआरपी की टीम होशंगाबाद जाएगी। क्योंकि, इन कागजों की साइज नोटों से मिलते जुलते हैं। हालांकि यह साइज कुछ छोटी-बड़ी है। इसके अलावा बंडलों में ‘फॉर ट्रेजरी यूज ऑनली’ लिखा है। इसका पता लगाने टीम होशंगाबाद पेपर सिक्योरिटी मिल जाएगी। यहां से कागजों का सत्यापन कराया जाएगा। बता दें कि यहां पर नोटों वाले कागज तैयार होते हैं और इन्हें नोटों के आकार में काटा जाता है। यहां से देवास-जलगांव में नोट छपाई की प्रक्रिया के लिए जाते हैं। इसके बाद नागपुर कार्यालय से आरबीआई द्वारा नोट जारी किए जाते हैं। बताया गया कि इस बंडल में जो पेपर निकले हैं उनके अंदर एक सफेद कलर का पेपर है, लेकिन वह कागज नोट के कागज से कमतर नजर आ रहा है।
रेलवे की लापरवाही… नहीं जमा कराए दस्तावेज
शनिवार को जब पता चला कि बालकदास 401 पुनासा डेम खंडवा निवासी द्वारा 24 जुलाई को बैग मैहर अमानती गृह में रखा गया था। इसके बाद जीआरपी ने खंडवा थाना प्रभारी को संदिग्ध की पतासाजी के लिए कहा है। वहीं बैग से मिले मोबाइल नंबर की सीडीआर लोकेशन ट्रेस कराई जा रही है। मामले में रेलवे स्टाफ की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यात्री का स्थाई पता न लेने व यात्री का आइडी कार्ड जमा न कराने के कारण जीआरपी को आरोपी की पतासाजी में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
असली नोट से पतले हैं पेपर

जीआरपी चौकी मैहर प्रभारी राकेश पटेल ने बताया कि सभी बंडल 25 पुलिस एक्ट के तहत जब्त किए गए हैं। यह बंडल जीआरपी थाना कटनी के निरीक्षक डीपी चढ़ार अपनी निगरानी में जांच के लिए कटनी लेकर गए हैं। करेंसी पेपर जैसे बंडल को जांचने पर असल नोटों से सभी पेपर छोटे-बड़े हैं और असली नोट से काफी पतले भी हैं। निरीक्षक चढ़ार ने बताया कि बुकिंग ऑफिस मैहर में बैग जमा करने वाले ने अपना नाम बालक दास जी निवासी 401 कस्तूरबा वार्ड पुनासा दर्ज कराया है। पुनासा डैम खण्डवा जिले में है।
आज विभागों में होगी जांच
रविवार को सभी कार्यालय बंद होने के कारण जांच आगे नहीं बढ़ सकी। जीआरपी सोमवार को ट्रेजरी कार्यालय, पोस्ट ऑफि स, बैंक व महिला बाल विकास में जाकर पूछताछ करेगी। उनको कागजों को दिखाकर पूछताछ की जाएगी कि क्या इनका उपयोग इन विभागों में हो रहा है।
एसडीओपी पहुंचे चौकी

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल ने एसडीओपी मैहर हेमंत शर्मा को रविवार को इस मामले की जानकारी लेने जीआरपी चौकी मैहर भेजा। शर्मा ने मामले की जानकारी लेने के बाद एसपी को अब तक की जांच कार्रवाई से अवगत कराया।
नहीं मिले सीसीटीवी फुटेज
जीआरपी और आरपीएफ अधिकारियों से जानकारी लेने पर पता चला कि रेलवे स्टेशन मैहर में लगे सीसीटीवी फुटेज में बैग जमा करने के दिन के फुटेज नहीं मिल सके। जिस क्लॉक रूम में बैग जमा कराया गया, वहां कैमरा नहीं लगा है। बाहरी हिस्सों के साथ स्टेशन परिसर में अन्य जगह लगे कैमरे में पुराना फुटेज नहीं मिल सका।
मोबाइल नंबर की जांच

एसपी रेल सुनील कुमार जैन ने बताया कि जो मोबाइल नंबर बैग जमा कराने वाले व्यक्ति ने दर्ज कराया है उसकी जांच कराई जा रही है। कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर संबंधित व्यक्ति तक पहुंचने के प्रयास कर रहे हैं। जो पता दर्ज है उसकी पुष्टि कराने के लिए जीआरपी की टीम रवाना की जा रही है। साथ ही रेलवे स्टाफ की जिम्मेदारी क्या थी, कहां लापरवाही हुई इस संबंध में भी जांच की जाएगी। मुद्रणालय से भी पुष्टि कराएंगे कि नोट के आकार के जो कागज के बंडल मिले हैं, वे किस उपयोग के हैं अैर आए कहां से हैं?
रेलवे ने किया किनारा
अमानती सामान गृह में रखे बैग से भारत सरकार की सील लगे बंडल मिलने का मामला जीआरपी को सौंपने के बाद रेलवे ने अब पूरी तरह किनारा कर लिया है। इस संबंध में मैहर पहुंचे डीआरएम डॉ. मनोज सिंह ने एरिया मैनेजर मृत्युंजय सिंह से जानकारी ली है। एरिया मैनेजर ने शनिवार को की गई कार्रवाई और फिर जीआरपी को मामला सौंपे जाने तक का ब्योरा डीआरएम को बताया है।
प्रोटोकॉल का किया उल्लंघन

रेलवे क्लॉक रूम (अमानती समान गृह) के नियमों के अनुसार क्लॉक रूम में तय अवधि तक संबंधित व्यक्ति समान लेने नहीं आता तो एक माह बाद इसे मंडल कार्यालय भेजा जाता है। लेकिन इस मामले में तीन माह तक चुप्पी साधे रखी गई। इसके साथ ही पहचान पत्र संबंधी किसी दस्तावेज की भी फोटोकॉपी नहीं ली गई। इससे अब संदिग्ध का पता लगाने में दिक्कत हो रही है।
इनका कहना है
खंडवा में संदिग्ध की तलाश स्थानीय पुलिस द्वारा शुरू करा दी गई है। पेपर की जांच के लिए टीम होशंगाबाद एसपीएम जाएगी। सोमवार को ट्रेजरी सहित अन्य कार्यालयों में नोटों जैसे मिले कागजों के संबंध में पूछताछ की जाएगी।
– डीपी चड़ार, टीआइ जीआरपी

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खास-खास
– 17 अक्टूबर को आरपीएफ और जीआरपी को दी गई थी सूचना, कोई नहीं पहुंचा, 18 को डिवीजन को बताया गया।

– टेलीफोन से अधिकारियों को कहा कि डिस्पोज करने के लिए सील खोलिए, सील खोलने पर नोटों जैसा प्रतीत हुआ।
– 18 को कमांडेंट व सतना से एरिया मैनेजर भी पहुंचे, रात 12 बजे निर्णय लिया गया कि इसे जीआरपी को सौंपा जाए।
– 19 को डीसीएम, आरपीएफ और जीआरपी की मौजूदगी में बैग को खोला गया, जिसमें संदिग्ध सादे कागज निकले।
– मिला कागज नोटों के पेपर से कमतर है और सादा कागज ही लग रहा है।
– मैहर स्टेशन प्रबंधन से लेकर डिवीजन के अधिकारियों ने बरती लापरवाही, एक माह बाद भी नहीं डिस्पोज किया केस।
– विभागीय कर्मचारी-अधिकारियों की लापरवाही पर शुरू होगी विभागीय जांच, दोषियों पर होगी कार्रवाई।
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