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सतना

मध्यप्रदेश: इस शहर में भगवान स्वयं आते हैं पितरों का तर्पण करने, देखिए प्रभु के अलबेले अंदाज

पितृपक्ष शुरू होने के साथ नदी-तालाबों में शुरू हुआ तर्पण, धरम सागर तालाब में सैकड़ों लोगों ने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए दिया अध्र्य

सतनाSep 24, 2018 / 06:09 pm

suresh mishra

pitru paksha 2018: date time shraddh puja vidhi tarpan pind daan

pitru paksha 2018: date time shraddh puja vidhi tarpan pind daan

पन्ना। पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए 15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष का आगाज हो गया है। पितृपक्ष के पहले दिन जिलेभर में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पूवर्जों को तिल, चावल और जौ आदि से नदी तालाबों और विभिन्न जल स्रोतों में पहुंचकर अध्र्य दिया। तर्पण का कार्यक्रम सूर्य निकलने के साथ ही शुरू हो गया था। धरम सागर में सुबह 5 बजे से लोग तर्पण करने के लिए पहुंचने लगे थे, सुबह करीब 10 बजे तक तर्पण का क्रम चलता रहा।
ऐसे हुई शुरुआत
तर्पण के लिए सुबह 5 बजे के बाद से ही बड़ी संख्या में लोग धरम सागर तालाब पहुंचने लगे थे। जहां सुबह करीब 10 बजे तक तर्पण का दौर जारी रहा। विभिन्न घाटों में सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोगों ने तालाब के जल में स्नान करके तर्पण किया। पंडि़त योगेंद्र शास्त्री ने बताया, जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। जिनकी परलोक गमन तिथि ज्ञान न हो उन सबका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।
ये कर सकते है श्रृाद्ध
उन्होंने बताया, ज्येष्ठ पुत्र या कनिष्ठ पुत्र के अभाव में बहू, पत्नी को श्राद्ध करने का अधिकार है। इसमें ज्येष्ठ पुत्री या एकमात्र पुत्री भी शामिल है। अगर पत्नी भी जीवित नहीं हो तो सगा भाई अथवा भतीजा भांनजा, नाती पोता आदि कोई भी यह कर सकता है। इन सबके अभाव में शिष्य, मित्र, कोई भी रिश्तेदार अथवा कुल पुरोहित मृतक का श्रृाद्ध कर सकता है। इस प्रकार परिवार के पुरुष सदस्य के अभाव में कोई भी महिला सदस्य व्रत लेकर पितरों का श्राद्ध व तर्पण और तिलांजली देकर मोक्ष कामना कर सकती है।
जुगल किशोर मंदिर में मंगलवार से तर्पण
मंदिरों की नगरी में त्योहार और रस्में भी अलबेले अंदाज में ही मनाए जाते हैं। यहां साक्षात विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण भी इंसान रूप में अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं। मंदिर के पुजारी अवध बिहारी ने बताया इस साल सोमवार को उदया तिथि में चौदस होने के कारण जुगल किशोर मंगलवार से पितरों को तर्पण कर अध्र्य देंगे। यह प्रक्रिया मंदिर के गर्भगृह में पंडि़तों द्वारा पूरी कराई जाती है। जिसे देखना श्रद्धालुओं के लिए निषेध है। श्रद्धा पक्ष के 15 दिनों तक भगवान पितरों को तर्पण करने के साथ ही दिनभर स्वेत वस्त्र भी धारण करेंगे।
जुगल किशोरजी को सुनाई जाएगी श्रीराम कथा
जुगल किशोरजी महाराज मुख्य यजमान बनकर 29 सितम्बर से 7 अक्टूबर तक श्री रामकथा का श्रवण करेंगे। कथा व्यास कुलदीप महाराज उन्हें श्रीराम कथा सुनाएंगे। कथा व्यास कुलदीप महाराज ने बताया, श्रीराम कथा प्रतिदिन 5.30 से रात में 9.30 तक चलेगी। उन्होंन बताया, रामकथा को स्वयं जुगल किशोर महाराज मुख्य यजमान बनकर अपने पितरों को श्रवण करा रहे है। उन्होंने नगर के सभी लोगों ने इस कथा को सुनने के लिए आगामी 29 सितंबर से भगवान श्रीजुगल किशोर जू के मंदिर में पहुंचने की अपील की है।

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