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सतना

‘मैं मधुवन के गीत सुनाऊं, जीवन मेरा उपवन’

कवि सम्मेलन में कवियों ने दी एक से बढ़कर एक प्रस्तुति

सतनाSep 17, 2019 / 12:47 pm

Jyoti Gupta

 poet's conference organized by Lioness Gold

poet’s conference organized by Lioness Gold

सतना. मन मेरा गंगाजल है, तनमेरा वृंदावन, मैं मधुवन के गीत सुनाऊं, जीवन मेरा उपवन है… गजलों की कुछ इन्हीं पक्तियों के साथ कवियत्री निर्मला सिंह परिहार ने कवि सम्मेलन का आगाज किया। लायनेस गोल्ड द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में एक से बढ़ काव्य पाठ पढ़कर कवियों ने श्रोताओं को भावविभोर किया। कवि तेजभान सिंह ने रत्न है पर कोई पारखी चाहिए, द्वेष दूषण रहित भारती चाहिए, व्यूह फिर से रचा कौरवों ने यहां, पार्थ को कृष्ण सा सारथी चाहिए रचना को सुना कर जमकर वाह वाही बटोरी। ओज कवि सत्येंद्र पांडेय ने जैसे ही लहू जगकर बहाकर मैं, सिकंदर हो नहीं सकता, सितम गैरों पे ढाकर मैं, सितमगर हो नहीं सकता रचना को सुनाया तो सभी ने जोरदार तालियां बजाकर उनका अभिनंदन किया। गीतकार शैलेंद्र सिंह ने हम वो शिल्पी जो चाहत में पाले गए, जैसा चाहा इमारत को ढाले गए, जब कला की प्रतिष्ठा हुई विश्व में बाग बनवा के कर काट डाले गए रचना को सुनाया। फिर बारी आई शृंगार रस की कवियित्री दीपा की उन्होंने एक से बढ़ कर एक रचना पढ़ी। दीप बनकर जलू बस यही कामना, दिव्य आलोक है न मेरी कामना, मन हो मंदाकिनी वाणी में साणना तप करूं गीतों से हे यही कामना को सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध किया। मंच संचालन को संभालने के बाद हास्य व्यंगकार रवि शंकर चतुर्वेदी ने सभी को खूब हंसाया। साथ ही समसामयिक मुद्दों पर कटाक्ष किया। उनकी रचना बेसुरे से अलाप होने दो, झूठ के मंत्र जाप होने दो। मातु गंगा जरूर आऊ गा, थोड़ा सा और पाप होने दो सभी को पसंद आई। संस्था की अध्यक्ष रचना अवस्थी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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