मेहनत और ईमानदारी से किया गया काम कभी भी व्यर्थ नहीं होता है, सफलता जरूर मिलती है। अच्छा एडमिनिस्ट्रेशन तभी आ सकेगा, जब आलाधिकारी लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए उपलब्ध हों। आप फैसला चाहे जो भी लें, लेकिन सुनवाई जरूरी है। डिसीजन आपको लेना होगा। फैसले लेने में कोई विलंब नहीं किया जाना चाहिए। ये नहीं कि आइडियल डिसीजन के चक्कर में आप देर से फैसले लें और लोगों को नाउम्मीद कर दें।
अवि अपने पर नेताओं को हावी नहीं होने देते। उन्होंने राजनीति बहुत करीब से देखी है। उनके दादा टम्बेश्वर प्रसाद उर्फ बच्चा बाबू चौधरी चरण सिंह की सरकार में मंत्री रहे हैं। पत्नी रिजु बाफना भी आइएएस अधिकारी हैं और इसी तबादला सूची में इनका तबादला भी सिंगरौली हुआ है।
उच्च शिक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कम्पीटीशन की तैयारियों में जुट गए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर पद के लिए के लिए उनका चयन हुआ। आरबीआई में बतौर मैनेजर पोस्टिंग के ही सिविल सर्विसेज क्रेक किया। रोज तीन से चार घंटे और वीकेंड पर 7 से 8 घंटे पढ़ाई की। 6 से 8 महीने तैयारी में वो पहले आइपीएस में सलेक्ट हुए। पर लक्ष्य आइएएस था, इसलिए मसूरी में फाउंडेशन को छोडक़र रीविजन पर फोकस किया और मेन्स एग्जाम देने के बाद ही ट्रेनिंग ज्वाइन की। वर्ष 2013 में आईपीएस सेलेक्ट हुए थे। उन्हें इस परीक्षा में 171वीं रैंक मिली थी। यूपीएससी वर्ष 2014 की परीक्षा में 13वीं रैंक मिली। इससे पहले 2012 की संघ लोक सेवा चयन आयोग की सिविल सेवा मेंस लिखित परीक्षा पास कर चुके थे।
जिला पंचायत सीधी में एक वर्ष में सीइओ की कुर्सी पर चार अधिकारी पदस्थ किए जा चुके हैं, लेकिन छह महीने से ज्यादा कोई नहीं टिक पाया। ताजा तबादलों में पांच मई 2018 को अनिल डाभोर के स्थान पर आइएएस अवि प्रसाद की पदस्थापना की गई है। जिला पंचायत सीईओ सीईओ दुबे का तबादला सितंबर 2017 में हुआ था। नई पदस्थापना न किए जाने से अपर कलेक्टर डीपी वर्मन को जिपं सीईओ अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। फिर 22 नवंबर को दिलीप कुमार मंडावी की पदस्थापना की गई। दो माह बाद दिलीप मंडावी का तबादला हो गया। फिर डीपी वर्मन को प्रभार सौंपा गया। एक फरवरी 2018 को अनिल कुमार डाभोर ने कुर्सी संभाली, लेकिन दो माह बाद उनका भी तबादला कर दिया गया।