वैक्टीरियल निमोनिया ज्यादा खतरनाक होता है। इसकी वजह से मौत ज्यादा होती हैं। सरकार ने इससे बचाव के लिए वैक्सीन लांच किया है। रेसप्रेटरी सिसेंसियल वायरस से होता है निमोनिया
डॉ कारखुर ने बताया कि यह एक वायरल इंफेक्शन है। जो कि रेसप्रेटरी सिसेंसियल वायरस से होता है । इसका ठंड के मौसम में ज्यादा प्रकोप होता है। ७० से ८० फीसदी बच्चों में यही निमोनिया को प्रोड्यूज करता है। एक साल तक की आयु वर्ग के बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
निमोनिया के सर्दी, तेज बुखार, कपकपी, कफ, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द मुख्य लक्षण हैं, लेकिन बच्चों में इस तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते। बच्चों में निमोनिया सर्दी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है।
2 माह से एक साल के बच्चे की श्वसन गति प्रति मिनट 50 से कम होना चाहिए। 50 से अधिक है तो निमोनिया है।
1 साल से 5 साल तक की आयु वर्ग के बच्चे की श्वसन की गति यानी रेसप्रेटरी रेट प्रति मिनट ४० होनी चाहिए।