बताया गया है कि, महज 9 वर्ष की आयु में कार्तिकेय का अध्यात्म की ओर भारी झुकाव है। ईश्वर को ही महज एक सत्य मानते हैं। कार्तिकेय राजस्थान में स्थित उस स्थान की ओर ज्यादा आकृष्ट होते हैं, जहां पिछले जीवन में उन्होंने ज्यादा वक्त बिताया और जहां उनकी एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। कार्तिकेय के पुनर्जन्म की बातों को राजस्थान के माउंट आबू में स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम मधुबन के लोगों ने सबसे पहले महसूस किया।
दरअसल महाराष्ट्र जलगांव निवासी सुनील चौधरी वहीं आश्रम में ही रहा करते थे। करीब 10 वर्ष वहां रहने के बाद सुनील की एक भवन निर्माण के दौरान दुर्घटना में मौत हो गई। उसके बाद सुनील ने कार्तिकेय के रूप में इलाहाबाद के आनापुर गांव में जन्म हुआ। यह बात कार्तिकेय के कई आचार-विचार व बातों से साबित हुआ है। कार्तिकेय की मां नीलम के मुताबिक कई बार कार्तिकेय को पिछले जन्म की बातें याद आ जाती हैं।
कार्तिकेय के पिता शिव प्रताप बताते हैं कि करीब चार वर्ष पहले उस समय कार्तिकेय के पुनर्जन्म की बात सच साबित हो गई। जब उसने अपने पिछले जन्म की मां को पहचानते हुए पिता का हाल पूछा। शिव प्रताप के मुताबिक वह बच्चे की जिद पर ही दूसरी बार माउंट आबू के मधुबन आश्रम गए। वहां आश्रम वालों ने मृतक सुनील की मां को बुलवाया। सुनील की मां को देखने के बाद कार्तिकेय न केवल उनके पास दौड़ कर गया। बल्कि यह भी बोला कि आयी कैसी हो और बाबा कैसे हैं। बच्चे के मुख से यह बात सुनकर सुनील के मां की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने बच्चे को गले से लगा लिया।
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि कार्तिकेय इलाहाबाद का रहने वाला है। इससे पहले कार्तिकेय के मुख से कभी आयी व बाबा जैसे शब्द नहीं निकले। क्योंकि इलाहाबाद जैसे क्षेत्र में माता-पिता को मम्मी-पापा या अम्मा-पिता जैसे शब्दों से पुकारा जाता है। जलगांव व आस-पास के क्षेत्र में माता-पिता को आयी-बाबा कहकर पुकारा जाता है। इसके अलावा कार्तिकेय वहां मधुवन में उन स्थानों से ज्यादा लगाव रखता रहा है, जहां सुनील अक्सर समय बिताता था।