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सतना

तेजी से चला क्षतिग्रस्त पटरी बदलने का काम, तलाशते रहे हादसे की वजह

हादसे के तीसरे दिन भी अपलाइन पर लिए गए कॉशन
 

सतनाFeb 12, 2018 / 01:56 am

Pushpendra pandey

satna railway track

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सतना. बिरला सायडिंग लाइन में शुक्रवार को ट्रैक पर डि-रेल हुई सीमेंट लदी मालगाड़ी से करीब 70 मीटर क्षतिग्रस्त पटरी बदलने का कार्य युद्ध जारी रहा। रविवार को ट्रैक बनाने का काम लगभग पूरा हो गया, लेकिन मेंटीनेंस जारी रहेगा। डिरेलमेंट के बाद सकते में आए रेलवे प्रशासन ने हादसे की वजह जानने के लिए संबंधित कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी है। जल्द ही घटना की प्राथमिक जांच रिपोर्ट जबलपुर भेजी जाएगी। गौरतलब है कि शुक्रवार की रात करीब 8 बजे बिरला सायडिंग से सीमेंट लोड कर सतना स्टेशन की ओर बढ़ रही ४२ बीसीएन की मालगाड़ी के दो डिब्बे 13 च 17 नम्बर मुख्त्यारगंज रेलवे फाटक के पास पटरी से उतर गए थे। जिस जगह मालगाड़ी के डिब्बे डि-रेल हुए वहां से सतना स्टेशन की दूरी महज डेढ़ किमी है। डिरेलमेंट होने से ट्रैक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। हादसे के बाद करीब दो दर्जन ट्रेनों का परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ था।
लिया जा रहा कॉशन
हादसे के कुछ घंटों बाद भले ही हावड़ा-मुम्बई रेलखंड की अप लाइन चालू करा दी गई थी, लेकिन अभी भी सावधानी बरतते हुए ट्रेन गुजारने के लिए कॉशन लिया जा रहा है। जब तक बिरला सायडिंग में ट्रैक का काम पूरा कर इसे पूरी तरह फिट नहीं बताया जाता तब तक रेलवे के पास रीवा व अप लाइन में अतिरिक्त सावधानी बरतने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
तीसरे दिन भी ट्रेनों की टाइमिंग बेपटरी
मालगाड़ी पटरी से उतरने की घटना के तीसरे दिन भी रीवा-सतना रेल मार्ग पर टे्रनें प्रभावित रहीं। रविवार को आनंद विहार तीन घंटे विलंब से दोपहर ३ बजे, तो भोपाल-रीवा हाली-डे स्पेशल छह घंटे देरी से शाम 4.40 बजे पहुंची। सभी ट्रेनें विलंब होने के कारण शनिवार को निर्धारित समय पर रवाना नहीं हो सकी थीं। इसके कारण रविवार को निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पाई।
बाल-बाल बची अप लाइन
डिरेलमेंट के बाद अधिकारियों के लिए राहत वाली बात यह रही कि क्रॉसिंग से गुजर रही मालगाड़ी से अप लाइन को कोई नुकसान नहीं हुआ। अन्यथा बड़ा मामला हो सकता था। यदि उस समय कोई गाड़ी थ्रू पर आ रही होती तो नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता था। खास बात यह है कि जहां पर मालगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतरे उसी के महज १० मीटर दूर मकान बने हुए हैं। गनीमत यह रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।

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