नियम 377 के तहत सदन में रखे गए रामायण सर्किट के विकास के मुद्दे पर सांसद गणेश सिंह ने कहा कि चित्रकूट में 84 कोसीय परिक्रमा का अत्यंत महत्व है। यहां भगवान राम ने वनवास काल का 11 साल से अधिक का समय व्यतीत किया था। परिक्रमा क्षेत्र में हर साल हजारों लोग प्रतिवर्ष आते हैं। लेकिन, वहां सुविधाओं का अभाव है। प्रदेश की सरकार ने राम वन गमन पथ योजना शुरू की थी।
उसके तहत कुछ क्षेत्रों में काम किए गए। किंतु, चित्रकूट समेत अन्य क्षेत्रों में विकास की जरूरत है। रामायण सर्किट के लिए विभाग ने जो राशि जारी की थी वह यूपी के हिस्से वाले चित्रकूट में खर्च हो गई है। जबकि, चित्रकूट का दो तिहाई हिस्सा मप्र के सतना जिले में है। उन्होंने मांग किए की चित्रकूट के उस हिस्से का विकास किया जाए, जो सतना जिले में है।
मप्र शासन द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत स्वीकृत रामायण सर्किट से संबंधित विभिन्न स्थलों के विकास का प्रस्ताव भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय को सन 2017 में ही प्रेषित कर दिया है। प्रस्ताव विचाराधीन है। उन्होंने मांग की किए रामायण सर्किट के विकास के लिए सर्वे दल गठित किया जाए। साथ ही, उन्होंने बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य के विकास के लिए राष्ट्रीय टूरिस्ट सर्किट बनाने कर भी सुझाव दिया।