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सतना

मध्यप्रदेश में 25 फीसदी अपात्रों को राशन, 20 फीसदी पात्रों को एक दाना भी नहीं

अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन तथा नीति विश्लेषण संस्थान के सर्वे से हुआ खुलासा

सतनाAug 04, 2022 / 01:36 pm

Ramashankar Sharma

मध्यप्रदेश में 25 फीसदी अपात्रों को राशन, 20 फीसदी पात्रों को एक दाना भी नहीं

Ration to 25 ineligible in M.P., not even a grain to 20 eligible

सतना। अब तक प्रदेश में शासन प्रशासन की ओर से गाहे बगाहे यह सुनने में आता रहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बाद भी बड़े पैमाने पर पात्र गरीबों को सरकारी खाद्यान्न का लाभ नहीं मिल पाता है। लेकिन पहली बार किसी आधिकारिक रिपोर्ट में यह माना गया है कि राशन दुकान से सरकारी खाद्यान्न उठाने वाले 25 फीसदी हितग्राही ऐसे हैं जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए। और 20 फीसदी लोग ऐसे है जिनको पात्रता के बाद भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालांकि अभी दूसरे चरण का सर्वे अन्य जिलों में प्रारंभ है लेकिन इसके पहले ही प्रमुख सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति ने सभी कलेक्टरों को रिपोर्ट भेजते हुए जिला स्तर पर आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन तथा नीति विश्लेषण संस्थान को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन के मूल्यांकन का जिम्मा दिया है। इस संस्थान ने प्राथमिक चरण में भोपाल, ग्वालियर, सागर और जबलपुर में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये साइंटिफिक सर्वे किया। विस्तृत अध्ययन में कार्यक्रम से जुड़ी संस्थाओं तथा हितग्राहियों से विस्तृत चर्चा और विश्लेषण के उपरांत रिपोर्ट तैयार की गई।
सामने आया यह सच
अध्ययन के बाद तैयार रिपोर्ट में पाया गया कि गरीब हितग्राहियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्रता तथा आवेदन प्रक्रिया की जानकारी ही नहीं है। लिहाजा इस योजना के तहत खाद्यान्न दिलाने के नाम पर हितग्राहियों को तमाम परेशान होना पड़ता है तो कई बार वे पात्रता के बाद भी वंचित कर दिये जाते हैं।
वन नेशन वन राशन कार्ड भी बेमानी
यह भी पाया गया है कि हितग्राहियों को वन नेशन वन राशन कार्ड योजना की जानकारी होने के बाद भी उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसमें कहीं न कही ं राशन दुकानों के बिचौलियों का मकड़जाल बड़ी भूमिका निभाता है।
और यह है स्याह सच
रिपोर्ट में खुल कर बताया गया है कि राशन दुकानों से जिन गरीब हितग्राहियों को राशन मिल रहा है उसमें से 25 फीसदी ऐसे हैं जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिलना चाहिए। लेकिन सिस्टम में लगी घुन इन्हें लगातार पनपने दे रही है। वहीं 20 फीसदी गरीब ऐसे हैं जो पात्र होने के बाद भी योजना के लाभ से वंचित हैं।
जिलों को सुधार के निर्देश
प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने सभी जिलों के कलेक्टरों को यह रिपोर्ट भेजते हुए कहा है कि विश्लेषण का दूसरा चरण इंदौर, उज्जैन, मुरैना और खरगोन जिलों में होना है। लेकिन उसके पहले ही सभी जिले योजना में आवश्यक सुधार कर वास्तविक हितग्राहियों को योजना का लाभ दिलाना सुनिश्चित करें और अपात्रों के नाम हितग्राहियों की सूची से काटें।
सतना में सार्वजनिक वितरण बडी समस्या
भले ही सतना जिले में अभी तक संस्थान स्तर से सर्वे नहीं हुआ है लेकिन सतना जिले की स्थिति देखे तो यहां राशन वितरण की स्थिति लगातार खराब चली आ रही है। हालात यह तक रहे हैं कि खुद मुख्यमंत्री को सतना में व्यवस्था सुधार के लिये कहना पड़ा था। यहां की सबसे बड़़ी समस्या शत प्रतिशत खाद्यान्न का वितरण नहीं होना है। इसके पीछे समय पर खाद्यान्न का राशन दुकानों पर नहीं पहुंचना है। कलेक्टर के लगातार प्रयासों के बाद भी अभी अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है। जबकि स्थिति यह है कि ज्यादातर खाद्य अधिकारियों का वेतन तक रोका जा चुका है।

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