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सतना

देश का ऐसा गांव जहां 1400 मतदाताओं मेें 600 सैनिक कर रहे देश की रक्षा, जानिए इनकी वीरता की कहानी

पिता-चाचा हुए देश के लिए शहीद, बेटा भी गया दुश्मनों से बदला लेने, सैनिकों की नर्जरी कहे जाने वाले गांव में घर-घर में सुनाई जाती है वीरों की गाथा

सतनाJan 25, 2018 / 06:24 pm

suresh mishra

Republic Day 2018 Indian Army Soldiers Stories in Hindi

Republic Day 2018 Indian Army Soldiers Stories in Hindi

सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिला अंतर्गत सैनिकों की नर्सरी कहे जाने वाले चूंद गांव की वीर गाथा सुनते ही सबका कलेजा फट जाता। आंखें भर आती है आंसूओं की धार बंद नहीं होती। इस गांव में देशभक्ति का ऐसा जज्बा है कि सबकुछ खो देने के बाद भी युवाओं में देश-प्रेम देखते ही बनता है। यहां के कई जांबाज सिपाही देश के युद्धों में अपना योगदान देकर वीरगति को प्राप्त कर चुके है। एक ऐसी ही कहानी है श्रीपाल सिंह की। जिनके दो बेटे देश के लिए शहीद हो चुके है।
पहला बेटा 1998 में और दूसरे बेटे ने 2000 में देश की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी। 1998 में शहीद हुए कन्हैयालाल कि पत्नी तो आज भी उन जख्मों से उबर नहीं पाई है। वह तो सिर्फ आंसुओं से ही देश-प्रेम और अपने दर्द को बया कर देती है । जहां उसे अपने पति के शहीद होने पर गर्व है वहीं वह अपने पति को अभी तक भूला नहीं पाई है।
ऐसा था श्रीपाल सिंह का परिवार
शहीद कन्हैयालाल की बेटी ने बताया कि हमारे दादा का नाम श्रीपाल सिंह था। जिनके 4 बेटे थे। बड़े बेटे का नाम कन्हैया लाल सिंह और दूसरे बेटे का नाम बाबूलाल सिंह था। जिनमें दोनों शहीद हो चुके हैं। तीसरे चाचा का नाम चन्द्रराज सिंह जो अभी भी सेना में है। बाबूलाल सिंह जब शहीद हुए थे उस समय उनकी ट्रेनिंग चल रही थी। मुखाग्नि देने के लिए उनको ट्रेनिंग से बुलाया गया था। सबसे छोटे चाचा ब्रजेन्द्र सिंह प्राइवेट नौकरी कर रहे है।
एकलौता बेटा पिता के शहीद होने के बाद भी सेना में
बता दें कि जब कन्हैयालाल सिंह का निधन हुआ था। उस समय बेटा विनय सिंह करीब 8 वर्ष का था। पिता के सर से हाथ हट गया फिर भी बेटे के अंदर देशभक्ति का जज्बा उसी तरह कायम रहा और सबके मना करने के बाद भी इकलौता बेटा आज भी देश की सेवा कर रहा है।
दो बेटी और एक बेटा का परिवार
1998 में शहीद कन्हैयालाल सिंह के दो बेटी और एक बेटा है। सबसे बड़ी बेटी पूजा सिंह उस समय 10 वर्ष की थी। जबकि छोटी बेटी 6 साल और बेटा 8 वर्ष का था। वर्तमान समय में शहीद पत्नी और छोटी बेटी प्रियंका सिंह घर में रहती है। जबकि बड़ी बेटी पूजा सिंह की शादी हो चुकी है। और बेटा सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहा है।
एक नजर में जानिए चूंद के बारे में
– आबादी 2400
– मतदाता 1400
– कुल फौजी 600
– अभी सेना में 235
– रिटार्यड सैनिक 365
– देश के लिए शहीद 4
– अन्य कारणों से मौत 5

शहीदों के नाम
– समर बहादुर सिंह सिपाही 1994 में शहीद
– कन्हैया लाल सिंह नायक 1998 में शहीद
– बाबूलाल सिंह नायक 2000 में शहीद
– लंकेश बहादुर सिंह सूबेदार 2014 में शहीद

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