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सतना

पहली बार सतना में फहराया गया था 7 मीटर का झंडा, किसी के न गाने पर वेश्या ने गाया राष्ट्र गीत

तीन लोग पकड़कर चल रहे थे जूलूस का झंडा, पहले का आजाद मैदान आज जाना जाता है सुभाष पार्क के नाम से।

सतनाJan 09, 2018 / 06:32 pm

suresh mishra

Republic Day Event 2018: Republic day 2018 speech in Hindi

Republic Day Event 2018: Republic day 2018 speech in Hindi

सतना। देशभर में जहां 26 जनवरी 2018 के उपलक्ष्य में देशभक्त सपूतों और आजादी के नायकों की बातें याद की जा रही है। वहीं आज भी कई ऐसे रहस्य है जिनको बहुत कम लोग ही जानते है। हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश के सतना जिला की। जहां के ज्यादातर युवा नहीं जानते है कि सतना में यह तिरंगा हमें कैसे मिला? यह पहली बार कहां फहराया गया था।
तो हम बता दें कि आजादी का पहला तिरंगा 7 मीटर का फहराया गया था। बल्कि किसी के न गाने पर ‘वेश्या’ ने राष्ट्र गीत गाया था। वेश्या के मुख से गीत सुनते ही पूरा आजाद मैदान तालियों की गढ़-गढाहट के गूंज उठा था।
सतना के इतिहासकार चिंतामणि मिश्रा बताते है कि 15 अगस्त 1947 को सतना में 7 मीटर का झंडा फहराया गया था। पहले का आजाद मैदान आज सुभाष पार्क के नाम से जाना जाता है। जहां सतना में आजादी का पहला तिरंगा लहराया था।
शिवानंद श्रीवास्तव फहराया था झंडा

तिरंगे फहराने का सौभाग्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं बाद में विंध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष शिवानंद श्रीवास्तव को प्राप्त हुआ था। 7 मीटर के बजनी झंडे को पकड़कर रामदास हलवाई, बुग्गी महाराज, स्वामी प्रसाद दीक्षित थाम कर चल रहे थे। आजादी का जूलूस सतना शहर के चौक बाजार, लालता चौक, शास्त्री चौक से होकर निकला था।
नेहरू के भाषण का हुआ था प्रसारण
14 अगस्त 1947 को दिन ही स्वतंत्रता की घोषणा हो गई थी। स्वतंत्रता के भाषणों का रात 12 बजे रेडियो में प्रसारण सतना में भी हुआ था। लाउड स्पीकर की व्यवस्था सरदार ग्रामाफोन हाउस ने कराई थी। जिनके दजज़्नों लाउड स्पीकर सतना बाजार में लगाए गए थे। लोग पूरी रात जागकर जवाहर लाल नेहरू के भाषण सुन रहे थे।
वेश्या ने गाया था राष्ट्रीय गीत
चिंतामणि मिश्रा की मानें तो 15 अगस्त 1947 की सुबह राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम गायन के लिए कोई आगे नहीं आया तो वेश्या पंखुडी जान ने राष्ट्रीय गीत गाया था। उसकी देशभक्ति के आगे सभी लोग बेहद उत्साहित हुए थे और आजाद मैदान तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा था। लोग पंखुड़ी जान के जब्बे को सलाम कर रहे थे।
आजाद मैदान के लिए आंदोलन
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवानंद श्रीवास्तव ने आजाद मैदान के लिए कई आंदोलन किए है। तत्कालीन रीवा के राजा ने आजाद मैदान को बेंच दिया था। जिसके लिए शिवानंद 10 दिनों तक आमरण अनशन किए। बाद में नेहरू के कहने पर आजाद मैदान मुख्त हुआ तब शिवानंद का अनशन खत्म हुआ था।
अब वो बात कहां
समाज के वरिष्ट जन बतातें है कि पहले के स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्रता दिवस में लोगों के अंदर देशभक्ति झलकती थी। अब ओ बात कहां बची है। अब राज्य सरकारें खानापूर्ति कर कार्यक्रम कर रही है। लोगों के अंदर पहले जैसी देशभक्ति नहीं दिख रही है।

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