सतना

शासकीय भवनों में सरस्वती स्कूलों का कब्जा

नियम विरुद्ध सरपंच और उपसरपंच ले रहे हैं किराया
 

सतनाJun 04, 2019 / 11:59 pm

Ramashankar Sharma

Saraswati schools occupy government buildings

सतना। जनपद पंचायत अमरपाटन की ग्राम पंचायत बेला के सामुदायिक भवन में सरस्वती विद्यालय खुलने का मामला सामने आने के साथ इसकी जांच शुरू हो गई है। उधर कई अन्य जानकारियां भी सामने आईं हैं जिसमें कई शासकीय भवनों में कब्जा करके सरस्वती विद्यालय संचालित किए जा रहे थे। इस तरह के मामले सामने आने से यह स्पष्ट होने लगा है कि विद्यालय प्रबंधन के लिये सार्वजनिक जनसुविधा के मायने क्या हैं। बहरहाल जो नई जानकारी सामने आई है उसके अनुसार अमरपाटन जनपद की ही ग्राम पंचायत पाल और रामपुर बाघेलान जनपद के बरती(छिबौरा) के शासकीय भवनों में भी सरस्वती विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। हद तो यह है कि इन विद्यालयों को नियम विरुद्ध तरीके से कब्जा दिलाते हुए पंचायत राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों द्वारा इनसे किराए के नाम पर राशि की वसूली की जाकर अपने उपयोग में लाई जा रही थी। पता चला है कि बेला ग्राम पंचायत के सरपंच भी इस विद्यालय से किराया वसूल रहे थे। हालांकि मामला उजागर होने के बाद मंगलवार को विदयालय पहुंच कर आनन फानन में विद्यालय खाली करने के निर्देश प्रधानाचार्य को दिए हैं।
हड़बड़ाए सरपंच पहुंचे स्कूल

पत्रिका में ग्राम पंचायत बेला के सामुदायिक भवन में सरस्वती स्कूल संचालित होने की खबर उजागर होते ही दूसरे दिन मंगलवार को सरपंच प्रभात सिंह आनन फानन में विद्यालय पहुंचे और प्रधानाचार्य को एक दिन में ही भवन खाली करने के निर्देश दिए हैं। उधर पत्रिका की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि खुद सरपंच प्रभात सिंह भी विद्यालय प्रबंधन से सामुदायिक भवन का किराया वसूल रहे थे। यहां के प्रधानाचार्य ने बताया कि यह भवन काफी पहले से किराए से संचालित था। वे तबादले में जब यहां आए हैं उसके पहले से इस भवन में स्कूल का संचालन हो रहा था। अभी तक उपसरपंच को किराया दिया जा रहा था, लेकिन पिछले दो माह से सरपंच को यह राशि दी जा रही थी। इसके समर्थन में उन्होंने बकायदा रजिस्टर में किराया लिये जाने का सरपंच का लेख और हस्ताक्षर भी दिखाया है।
कुछ और विद्यालय सामने आए
बेला के बाद जनपद पंचायत अमरपाटन के ग्राम पंचायत पाल के सामुदायिक भवन में भी सरस्वती विद्यालय संचालित होने का मामला सामने आया है। इसी तरह से बरती (छिबौरा) में जिला पंचायत की अधोसंरचना मद से बनी दुकानों में भी सरस्वती विद्यालय लगने का मामला सामने आया है। बताया गया है कि इसकी शिकायत जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय में भी की गई थी लेकिन वहां मामला दबा दिया गया था।
कैसे मिली मान्यता
शासकीय भवनों में निजी विद्यालय संचालित किए जाने का मामला सामने आने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग भी सवालों के घेरे में आ गया है। सवाल यह खड़ा हुआ है कि ऐसे विद्यालयों को मान्यता कैसे मिल गई। साथ ही आरोप लग रहे हैं कि जिम्मेदारों ने बिना भौतिक परीक्षण किए ही मान्यता के संस्तुति कर दी और इन्हें मान्यता दे दी गई। अगर मौका मुआयना किया गया होता तो यह स्थिति नहीं बनती।
जिपं सीईओ ने दिखाई गंभीरता
इस मामले को जिपं सीईओ ने गंभीरता से लेते हुए जनपद सीईओ से इस मामले का प्रतिवेदन तलब किया है और निजी विद्यालय को खाली कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कई शासकीय भवनों में निजी विद्यालय संचालित होने की जानकारी मिलने पर जिपं सीईओ ने सभी पंचायतों से इस आशय के प्रमाण पत्र तलब किए हैं। यह जानकारी सामने आने के बाद जहां ऐसे शासकीय भवनों में विद्यालय संचालित पाए जाएंगे वहां संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। प्रमाण-पत्र मिलने के बाद अगर कहीं निजी विद्यालय शासकीय भवन में संचालित पाया जाएगा तो फिर संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर लिये जाने की बात सामने आई है।
 
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