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सतना

हार जिद बन गई और मैंने इसे जीत में बदल दिया

सारेगामापा 2019 विनर इशिता शर्मा ने पत्रिका से साझा किए अनुभव

सतनाSep 23, 2019 / 09:51 pm

Jyoti Gupta

Saregamapa 2019 winner Ishita shared experiences from the patrika

Saregamapa 2019 winner Ishita shared experiences from the patrika

सतना. बचपन से गायकी का शौक रहा। ढाई साल की उम्र में मां को गुनगुनाते सुना तो मैं भी गुनगुनाने लगी। मां ने मेरे हुनर को पहचाना और पांच साल की उम्र में संगीत का प्रशिक्षण दिलाने लगी। फिर क्या, मैं गुनगुनाती गई लोगों को मेरे गीत पसंद आते गए। कुछ ऐसे ही अनुभव सारेगामापा २०१९ की विनर इशिता विश्वकर्मा ने पत्रिका से साझा किए। वे रविवार को होने वाले अलाप कार्यक्रम में शामिल होने जबलपुर से सतना पहुंचीं थीं। इशिता बताती हैं कि बचपन से स्टेज शो और कई प्रतियोगिताओं मेंं भाग लिया। कभी जीती कभी हारी पर रुकी नहीं। नतीजा, जिस मंच से मैं जूनियर प्रतियोगिता मैं हार गई उसी मंच से सीनियर प्रतियोगिता यानी सारेगामापा 2019 की विनर बन गई।
रियालिटी शो ने दिलाई पहचान
इशिता बताती हैं कि लोगों का कहना है कि रियलिटी शो में कुछ भी रियल नहीं होता। वहां जैक की जरूरत होती है पर एेसा नहीं है। जिसके अंदर हुनर है वही वहां का विजेता बनता है। जब से विनर बनी हूं लाइफ पूरी तरह से बदल गई है। एक तो तीन साल तक के लिए जी से कॉन्टै्रक्ट मिल गया। उसमें मैं जी की शॉर्ट फि ल्मों के लिए गाना गाती हंू। भारत में एक अलग पहचान मिली। मध्यप्रदेश का गौरव बनने का मौका मिला।
यहां तक का सफर आसान नहीं

इशिता कहती हैं कि जब वह पहली बार लिटिल चैंप 2015 में पार्टिसिपेट करने गईं तब वह टॉप टेन तक ही चयनित हुईं। इसके बाद स्टार प्लस के दिल है हिंदुस्तानी में टॉप 20 तक चयन हो पाया। जी युवा मराठी के संगीत सम्राट में टॉप फाइव तक पहुंचने के बाद हार का सामना करना पड़ा। उस समय एकदम निराश हो गई। मुझे लगा कि शायद अब आगे नहीं आ पाऊंगी। जब मां तेजल विश्वकर्मा ने मुझे संभाला। सारेगामापा 2019 में पार्टिसिपेट करने गई तो 12 बजे से लाइन में लगी और रात दो बजे मेरा ऑडिशन हुआ। करीब २४ राउंड पार करने के बाद यह सफलता मिली। इशिता प्ले बैक सिंगर बनना चाहती हैं। इसके लिए हर दिन दो से तीन घंटे रियाज करती हैं।
लग जा गले से फिर हंसी रात हो न हो

डिवाइन रूट ग्रुप के अलाप के फिनाले में सारेगामापा विनर इशिता ने धमाल मचा दिया। मंच से एक से बेहतरीन एक मध्ुार गीतों को प्रस्तुत कर समां बांध दिया। लग जा गले, घर मोरे परदेशिया, साची साची तेरी नजरंे, धड़क के टाइटल सॉग को गाकर प्रतिभागियों की हौसलाफजाई की। वहीं अलाप का विजेता बनने के लिए प्रतिभागियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। 35 सीनियर जूनियर ने क्लासिकल और सुगम संगीत को प्रस्तुत कर कांटे की टक्कर दी। जजमेंट फडींद्र शेखर पांडेय और दीपा विश्वकर्मा ने किया। मंच संचालन वीरेंद्र गोस्वामी ने किया। डायरेक्टर शिवम मिश्रा, धीरज सोनी और धीरज दक्ष द्वारा प्रतिभागी विजेता को नकद पुरस्कार दिए गए।

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