एंटरटेनमेंट को डिसऑर्डर में बदलने में नहीं लगता समय एक्सपर्ट कहते हैं कि मनोरंजन के लिहाज से इसमें कोई बुराई नहीं है। गेम्स और सोशल मीडिया को यदि एंटरटेनमेंट के नजरिए से देखा जाए तो यह एंटरटेनमेंट के लिए बेस्ट होता है, लेकिन इनका अधिक इस्तेमाल करने में यह एडिक्शन बन जाने पर यह नुकसानदायक हो जाता है। लंबे समय तक वीडियो गेम खेलने की वजह से बच्चों की नजर कमजोर होती है। साथ ही फि जिकल एक्टिविटीज कम होने से उनकी मसल्स और दूसरे अंगों पर भी असर पड़ता है। कई बार यूजर्स तो वर्चुअल लाइफ में ही जीना शुरू कर देते हैं । इतना ही नहीं वह गेम करैक्टर की तरह व्यवहार भी करने लगते हैं। इससे उनके स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन शामिल होने लगता है।
एग्रेसिव बन रहे यूजर्स मनोवैज्ञानिक डॉ. आभा गोयल का का कहना है कि इस तरह के गेम बच्चों के साथ- साथ यंगस्टर्स को भी एग्रेसिव बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया इस तरह के गेम में टास्क पूरा करना होता है। टास्क पूरा करने के दौरान यूजर्स किसी का दखल बर्दाश्त नहीं करता। वे एकांत में बैठ कर इस तरह के गेम को घंटे बिता देते हैं। यूजर्स पूरी तरह इस तरह की गेम्स का आदी होजाता है। एेसे में अगर उन्हें बीच में गेम छोडऩा पड़े या फिर कोई बार बार उन्हें टोके तो वह काफी एग्रेसिव हो जाते हैं। गेम खेलने वाले के स्वाभाव में रूखापन आजाता है। गेम के सिवाए उन्हें कोई भी पसंद नहीं आता।
एडिक्शन को छुड़ाने अपनाएं यह तरीका – बच्चों के गेम्स की वजाए अन्य विषयों पर बात करें। -पैरेंट्स बच्चों को कभी भी अकेला न छोड़ें। – युवा दोस्तों से ग्रुप चैट कर सकते हैं।
– पैरेंट्स, घर के बड़े बच्चों की फ्रेंड लिस्ट में शामिल हो। – गेम के लिए अपना ई-मेल और पासवर्ड डालें ताकि हर तरह का नोटिफि केशन पहले आप को पता लगे। – प्ले स्टोर को लॉक रखें।