बताया गया, कवांर गांव की चूममानी मवासी को प्रसव पीड़ा होने पर 10 अक्टूबर को मझगवां सामुदायिक केंद्र में भर्ती कराया गया। वहां उसने बच्चे को जन्म दिया। चिकित्सकों ने पाया कि मासूम की स्थिति गंभीर है। लिहाजा, उसे जिला अस्पताल एसएनसीयू के लिए रेफर कर दिया गया। शनिवार को रात आठ बजे मासूम की मौत हो गई। दूसरी ओर दुर्भाग्य यह था कि माता-पिता के पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। उनके सामने मासूम के शव को मझगवां ले जाने का संकट आ पड़ा।
उन्होंने आसपास कर्मचारियों से सरकारी शव वाहन की जानकारी ली पर कुछ हासिल नहीं हुआ। उसी दौरान अस्पताल प्रबंधन ने डिस्चार्ज कार्ड थमा दिया। मजबूर मां-बाप को समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें? उसके बाद वे पैदल ही मझगवां के लिए निकल गए। जब वे खजुराहो होटल मोड़ के पास पहुंचे, तो मां को थोड़ी तकलीफ हुई। वे शव को लेकर सड़क किनारे बैठ गए। उसी दौरान किसी ने पुलिस को सूचना दे दी कि दो लोग मासूम के शव को लेकर फेंकने जा रहे हैं। आनन-फानन पुलिस टीम मौके पर पहुंची।
जब उसे हकीकत समझ में आई तो कागजी कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम भी वापस लौट गई। लेकिन, उसने भी पीडि़त परिवार की मदद की नहीं सोची। संयोग से पास में ही दीपक भसीन की दुकान है। वे भी मौके पर पहुंचे। हकीकत जानकर हैरान रह गए। उन्होंने लायंस क्लब अध्यक्ष पवन मलिक व डॉ. प्रकाश सिंह को फोन किया। तीनों ने खुद के स्तर पर एम्बुलेंस की और पीडि़त माता-पिता को शव के साथ मझगवां भेजा।
गरीबों की मदद के लिए अस्पताल में सेवा संकल्प नामक संस्था काम करती है। उसके पास चार शव वाहन हैं, जिसे स्थानीय नागरिकों ने मदद के लिए ही दान किया है। लेकिन, पीडि़त परिवार को इनकी भी मदद नहीं मिल सकी। अस्पताल प्रबंधन ने दो साल पहले पुराने वाहन को शव वाहन बनाया था। उसे बंद कर दिया गया। जबकि जिला अस्पताल में शव वाहन उपलब्ध रखने के निर्देश शासन के हैं।
विद्याधर पांडेय, टीआइ, सिटी कोतवाली किसी भी व्यक्ति ने प्रबंधन से संपर्क नहीं किया। अगर, वे अपनी समस्या बताते तो वाहन उपलब्ध कराया जाता।
इकबाल सिंह, प्रशासक, सतना जिला अस्पताल