छात्रावास में अचानक बिगड़ी तबीयत, उपचार के लिए आधी रात तक अधिकारियों के चक्कर काटते रहे विद्यार्थी, नहीं मिली मदद
अधीक्षक बोले-ठीक हो जाएगा, धैर्य रखो, एसडीएम ने कार्रवाई का आश्वासन देकर लौटाया
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सीधी. अनूसूचित जाति सीनियर बालक छात्रवास-१ के बीमार छात्र का उपचार कराने सहपाठी आधी रात तक कलेक्टर व एसडीएम से बंगले के चक्कर लगाते रहे, लेकिन मदद नहीं मिली। जबकि, छात्रावास कलेक्टर बंगले से महज ७०० मीटर दूर है। अस्पताल भी यहां से दूर नहीं है। बगल में ही हरिजन थाना है, जहां पुलिस के जवान रात-दिन ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। लेकिन जिले में अफसरशाही इस कदर हावी है कि बीमार छात्र की मदद को कोई आगे नहीं आया। इससे पहले विद्यार्थियों ने अधीक्षक ओमप्रकाश साहू को फोन पर जानकारी दी थी। लेकिन उन्होंने यह कहकर फोन आने से मना कर दिया था कि ठीक हो जाएगा। सुबह देखते हंै। कुछ ऐसा ही जवाब एसडीएम नीलांबर मिश्रा का था। उन्होंने बीमार छात्र को अस्पताल पहुंचाने की बजाय, लापरवाह अधीक्षक के खिलाफ सुबह कार्रवाई करने का आश्वासन देकर विद्यार्थियों को घर से लौटा दिया।
दरअसल, हरिजन थाने के पास स्थित छात्रावास में रह रहे एक्सीलेंस विद्यालय के छात्र विक्रम जायसवाल की रविवार रात करीब ९.३० बजे अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। साथी छात्रों ने पहले अपने स्तर से प्रयास करते रहे, लेकिन सुधार नहीं हुआ तो अधीक्षक ओमप्रकाश साहू को फोन पर जानकारी दी। उन्होंने कह दिया कि इतनी रात में क्या करेंगे। सुबह दिखवाते हैं। ठीक हो जाएगा।
पत्रिका से बयां किया दर्द
बीमार विद्यार्थी को कहीं से मदद नहीं मिली तो साथी छात्रों ने रात १२.३० बजे पत्रिका कार्यालय फोन कर घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने फोटो व वीडियो भी उपलब्ध कराए। जिसके बाद रात १.३० बजे पत्रिका टीम मौके पर पहुंची और उनकी मदद की। हालांकि, तब तक विक्रम को राहत मिल चुकी थी। लिहाजा, अस्पताल पहुंचाने की जरूरत नहीं पड़ी।
छात्रावास में नहीं रहते अधीक्षक
विद्यार्थियों ने बताया कि अधीक्षक ओम प्रकाश साहू छात्रावास में नहीं रहते। सुबह १० मिनट के लिए आए थे। शाम को फोन करने पर भी नहीं आए। उनका यह रवैया कोई एक दिन का नहीं है, बल्कि रोज का है। कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन डांट-फटकार के बच्चों को चुप करा देते हंै।
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