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सतना

गर्ल्स की पसंद बनी टीचर की नौकरी, 70 प्रतिशत छात्राओं का D.El.ED-B.ED की ओर रुझान

महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण के बाद बदला नजरिया

सतनाJul 19, 2019 / 09:23 pm

suresh mishra

Teachers job of girls fast choice how to become teacher job tips

Teachers job of girls fast choice how to become teacher job tips

सतना। आज-कल की गल्र्स को टीचर की नौकरी खूब भा रही। इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब डाइट प्राचार्य से जिले के डीएलएड और बीएड कॉलेजों की जानकारी जुटाई गई। औसतन अगर जिले में डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) और बैचलर ऑफ एजुकेशन(बीएड) कोर्स की बात करें तो 70 प्रतिशत गर्ल्स का इस ओर रुझान है। जिले में शहर की डाइट कॉलेज को मिलाकर 25 कॉलेज संचालित हो रही हैं, डीएलएड में जहां औसतन 100 से लेकर 200 और 300 तक सीटें निर्धारित की गईं वहीं जिले में 23 बीएड कॉलेज है। 12 कॉलेजों का वेरीफिकेशन डिग्री कॉलेज से होता है। जबकि 11 कॉलेजों का वेरीफिकेशन शासकीय कन्या महाविद्यालय के हवाले है। अगर पूरे जिले में डीएलएड और बीएड में छात्रों की संख्या की बात की जाए तो लड़कों से जस्ट दोगुनी है।
ये है मुख्य कारण
– 50 प्रतिशत आरक्षण का मिल रहा फायदा
– लड़कों की सीट पर कर सकती हैं दावा
– लड़कियों का लड़कों से अपेक्षा ज्यादा अच्छा रिजल्ट।
– लड़कियों का शिक्षा विभाग की ओर रुझान।
– हर कॉलेज में 70 और 30 के फार्मूले की तरह स्टेंथ।
– 30 फीसदी लड़कियां ही टफ कोर्स की ओर जाती है।
छात्राओं की शुरुआत से ही शिक्षा विभाग में जाने की रुचि होती है। इसलिए ज्यादातर छात्राएं डीएलएड और बीएड करती है। उनका परसेंट भी लड़कों के मुकाबले ज्यादा होता है। 50 फीसदी आरक्षण के कारण डाइट कॉलेज में 65-35 का फार्मूला लागू है। ओवर आल लड़कियां 70 फीसदी डीएलएड कर रही है।
नीरव दीक्षित, डाइट प्राचार्य
छात्रों को ज्यादातर परिवारों के जिम्मेदार सदस्य बाहर पढ़ाई के लिए नहीं भेज सकते। इसलिए डीएलएड और बीएड सबसे अच्छा विकल्प है। समाज में लड़कियां भविष्य के प्रति जिम्मेदार हैं। इस कारण डीएलएड और बीएड के माध्यम से शिक्षा विभाग में जुड़ जाती है। अभिवावक भी छात्रों ऐसी पढ़ाई से मना नहीं करते।
डॉ. एके पाण्डेय, गल्र्स कॉलेज
12वीं की पढ़ाई कम्प्लीट होते ही शुरुआती दौर में ही डीएलएड करने का विचार बना लिया था। डाइट कॉलेज सरकारी है यहां फीस भी कम लगती है। डाइट में फार्म डाला और सीट भी मिल गई, इसलिए माता-पिता भी राजी हो गए।
शिवानी रावत, निवासी गौहारी, डीएलएड फस्ट ईयर
लड़कियों को 50 फीसदी मिलने वाले आरक्षण के कारण डीएलएड में प्रवेश मिला है। नागौद के पास कचलोहा गांव से डेली डाइट कॉलेज पर पढऩे आती हूं। सब घरों की लड़कियां बाहर के शहरों में जाकर पढ़ाई नहीं कर सकती। इसलिए शिक्षा विभाग से जुडऩे के लिए डीएलएड और बीएड उत्तम कोर्स है।
महिमा कोल, निवासी कचलोहा, डीएलएड फस्ट ईयर
निजी कॉलेजों में डीएलएड और बीएड की फीस भी ज्यादा होती है। सामान्य घरों की लड़कियां इन कॉलेजों में नहीं पढ़ सकती है। वैसे भी शिक्षा विभाग में भर्ती के समय सरकारी कॉलेज का डीएलएड ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है। रोजाना कॉलेज आने से कोर्स भी तैयार होता है। इसलिए पढ़ाई में ज्यादा मदद मिलती है।
अंजना सिंह, निवासी रामनगर, डीएलएड फस्ट ईयर
डीएलएड की पढ़ाई के लिए गांव से शहर में आकर रह रही हूं। डीएलएड की रोजाना क्लास से टीचर भर्ती के समय अच्छी तैयारी रहती है। जो प्रश्न और पढ़ाई कराने का तौर तरीका सिखाया जाता है। उससे कई प्रकार की मदद मिलती है।
कल्पना सिंह, निवासी सतना, डीएलएड फस्ट ईयर

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