जीएनएम नर्सिंग कॉलेज जिले के लिए बड़ी सौगात है। यहां पूरे प्रदेश से युवतियां नर्सिंग का प्रशिक्षण लेंगी। कलेक्ट्रेट के ठीक बगल में बने इस भवन का लोकार्पण भी मुख्यमंत्री को करना है। इसके साथ ही यहां प्रशिक्षण भी प्रारंभ हो जाएगा लेकिन इस भवन के साथ सबसे बड़ी समस्या इससे बमुश्किल 40 फीट की दूरी पर मौजूद शराब की दुकान है। जो नियमों के विपरीत भवन में संचालित हो रही है। इसे खाली करने के लिए निगमायुक्त नोटिस जारी कर चुके हैं। यहां शराबी अकसर शराब पीकर बोतले परिसर में तो फेंक ही देते हैं इनका आतंक भी बना रहता है। महिला नर्सिंग कॉलेज के बगल में यह स्थितियां किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं हैं । इस संबंध में सीएमएचओ दो बार कलेक्टर को भी पत्र भेज चुके हैं लेकिन आबकारी विभाग मुख्य द्वार से घुमाकर इस दुकान की दूरी काफी दिखा कर शराब कारोबारी के पक्ष में खड़ा है, जबकि भवन की खिड़कियां सीधे दुकान की ओर खुलती हैं । आवासीय और क्लास की स्थिति में यह कतई उचित नहीं है। लिहाजा अब यह अनिवार्य हो जाएगा कि यहां कक्षाएं प्रारंभ करने के साथ ही इस दुकान का निपटारा हो जाए जो कलेक्टर के यहां विलंबित है।
3/ उचेहरा कॉलेज… दूसरे जिले को गई राशि वापस मिले
उचेहरा में महाविद्यालय खुले 6 साल हो चुके हैं। अभी भी यह खुद के भवन के लिए मोहताज है। उत्कृष्ट विद्यालय उचेहरा के 6 भवनों में इसका संचालन हो रहा है। शासन ने इसके खुद के भवन निर्माण के लिये साढ़े 6 करोड़ रुपए की राशि 2017 में भेजी थी लेकिन जिस जमीन पर इसे बनना था प्रशासन उसे अतिक्रमण मुक्त नहीं करा सका और राशि काफी समय लंबित रहने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने यह राशि डिंडोरी को दे दी है। अब शासन से बजट नहीं मिल पाने से यहां की पठन पाठन व्यवस्था प्रभावित है। यहां कुल 300 विद्यार्थियों में 200 से ज्यादा छात्राएं है। शासन स्तर से यह प्रक्रिया अगर हो जाती है तो उचेहरा सहित पसरमनिया पठार की 96 पंचायतों के आदिवासी छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा की सौगात मिल जाएगी।
उचेहरा में महाविद्यालय खुले 6 साल हो चुके हैं। अभी भी यह खुद के भवन के लिए मोहताज है। उत्कृष्ट विद्यालय उचेहरा के 6 भवनों में इसका संचालन हो रहा है। शासन ने इसके खुद के भवन निर्माण के लिये साढ़े 6 करोड़ रुपए की राशि 2017 में भेजी थी लेकिन जिस जमीन पर इसे बनना था प्रशासन उसे अतिक्रमण मुक्त नहीं करा सका और राशि काफी समय लंबित रहने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने यह राशि डिंडोरी को दे दी है। अब शासन से बजट नहीं मिल पाने से यहां की पठन पाठन व्यवस्था प्रभावित है। यहां कुल 300 विद्यार्थियों में 200 से ज्यादा छात्राएं है। शासन स्तर से यह प्रक्रिया अगर हो जाती है तो उचेहरा सहित पसरमनिया पठार की 96 पंचायतों के आदिवासी छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा की सौगात मिल जाएगी।
4/ मार्कंडेय घाट का बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट…मंत्रालय में फंसी अनुमति
हनुवंतिया टापू की तर्ज पर बाणसागर डैम के जलाशय में बीच में रिक्त पड़े टापू के लिए पर्यटन विकास निगम ने मारकण्डेय घाट प्रोजेक्ट तैयार किया था। यहां टूरिस्ट हट, जेटी, रेस्टोरेंट आदि निर्माण कार्य के साथ इसे वाटर स्पोर्ट का पर्यटन स्थल बनाना था। यह वन भूमि है। जो केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति में फंसा हुआ है। जमीन नहीं मिल पाने की वजह से यहां की निविदा निरस्त हो गई है। अब गेंद शासन के पाले में है कि वह जिले को पर्यटक हब बनाने की सौगात सतना को दिला पाता है या नहीं। मामले में मुख्यमंत्री से जिले वासियों की अपेक्षा है कि वे इस पर पहल करेंगे।
हनुवंतिया टापू की तर्ज पर बाणसागर डैम के जलाशय में बीच में रिक्त पड़े टापू के लिए पर्यटन विकास निगम ने मारकण्डेय घाट प्रोजेक्ट तैयार किया था। यहां टूरिस्ट हट, जेटी, रेस्टोरेंट आदि निर्माण कार्य के साथ इसे वाटर स्पोर्ट का पर्यटन स्थल बनाना था। यह वन भूमि है। जो केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति में फंसा हुआ है। जमीन नहीं मिल पाने की वजह से यहां की निविदा निरस्त हो गई है। अब गेंद शासन के पाले में है कि वह जिले को पर्यटक हब बनाने की सौगात सतना को दिला पाता है या नहीं। मामले में मुख्यमंत्री से जिले वासियों की अपेक्षा है कि वे इस पर पहल करेंगे।
5/ परसमनिया बियर सेन्चुरी…पर्यटन की दिशा में उठाने होंगे कदम परसमनिया पठार आदिवासी बाहुल्य इलाका है और यहां के एक क्षेत्र विशेष में काफी संख्या में भालू है। इसकी संरचना के अनुसार दो स्थल ऐसे हैं जहां से सन राइज और सन सेट का विहंगम नजारा होता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरा यह इलाका अभी अवैध खनन के लिये कुख्यात है। अगर यहां वियर सेंचुरी के साथ पर्यटन की दृष्टि से काम किया जाए तो पूरे पठार के निवासियों को टूरिस्ट हब का लाभ मिलेगा और जिले को एक नई पहचान मिलेगी। इस दिशा में शासन को कई बार पत्राचार भी हो चुका है।
6/ डीएमएफ की दूसरी किश्त बनी बाधा
जिले में डीएमएफ मद से 443 काम स्वीकृत किये गये हैं। जिसमें से सभी को पहली किश्त तो जारी कर दी गई है लेकिन 386 काम महज दूसरी किश्त के इंतजार में अटके पड़े हैं। इसमें मझगवां के 48, मैहर के 164, रामपुर बाघेलान के 70, रामनगर के 12, सोहावल के 44, उचेहरा के 13, नागौद के 13 तथा अमरपाटन के 22 काम शामिल है। कलेक्टर अगर इनकी दूसरी किश्ते जारी कर दें तो इन कामों को शीघ्र पूरा कराया जा सकता है। इनकी नस्तियां कलेक्टर कार्यालय और माइनिंग में अटकी पड़ी है और कई बार डिमांड भेजी जा चुकी है।
जिले में डीएमएफ मद से 443 काम स्वीकृत किये गये हैं। जिसमें से सभी को पहली किश्त तो जारी कर दी गई है लेकिन 386 काम महज दूसरी किश्त के इंतजार में अटके पड़े हैं। इसमें मझगवां के 48, मैहर के 164, रामपुर बाघेलान के 70, रामनगर के 12, सोहावल के 44, उचेहरा के 13, नागौद के 13 तथा अमरपाटन के 22 काम शामिल है। कलेक्टर अगर इनकी दूसरी किश्ते जारी कर दें तो इन कामों को शीघ्र पूरा कराया जा सकता है। इनकी नस्तियां कलेक्टर कार्यालय और माइनिंग में अटकी पड़ी है और कई बार डिमांड भेजी जा चुकी है।