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सतना

SATNA : इन रुके कामों को मिले गति तो बदलेगी सतना की सूरत और सीरत

पहली बार सतना आ रहे मुख्यमंत्री से बढ़ी जनता की उम्मीदें

सतनाJan 05, 2020 / 01:44 am

Ramashankar Sharma

The SATNA will change if these stopped works gain momentum

The SATNA will change if these stopped works gain momentum

सतना. मुख्यमंत्री कमलनाथ रविवार को सतना आ रहे हैं। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह उनका पहला दौरा है। ऐसे में जनता की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। सतना में विकास और विस्तार की प्रक्रिया तो तेजी से चल रही है पर कुछ ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं जो लालफीताशाही और प्रशासनिक अनदेखी के चलते या तो प्रारंभ नहीं हो पा रहे या फिर गति नहीं पकड़ पा रहे हैं। जिलेवासियों को सीएम से उम्मीद है कि उनके दौरे के बाद से इन प्रोजेक्टों को गति मिल सकेगी। हालांकि मामले इतने भी बड़े नहीं कि इन्हें गति नहीं दी सकती है लेकिन प्रक्रियाओं में विलंब और चीजों को टालने की सरकारी मशीनरी की प्रवृत्ति ने मामलों में हाल फिलहाल तो पानी फेर रखा है। अगर इन पर गंभीरता बरत दी जाए तो ये प्रोजेक्ट परवान चढ़ सकेंगे।
1/ मेडिकल कॉलेज… जमीन से अतिक्रमण तो हटा पर पीएम आवास बने हैं बाधा
चैलेंज मोड से सतना को 150 सीट का मेडिकल कॉलेज मिला। इसके निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ होने की तैयारी में है। 220 करोड़ की लागत से बनने वाले इस बड़े प्रोजेक्ट को लेकर सतनावासी न केवल आशान्वित हैं, बल्कि उनकी भावनाएं भी इससे जुड़ी हैं। मेडिकल कॉलेज का टेंडर हो चुका है। ठेकेदार अपनी मशीनरी के साथ आ चुका है। यहां मेडिकल कॉलेज प्रोजेक्ट की जमीन का अवैध कब्जा भी हटाया जा चुका है लेकिन सबसे बड़ी समस्या इस प्रोजेक्ट के मुख्य भवन मेडिकल कॉलेज की जमीन पर नियम विरुद्ध तरीके से आवंटित कर बनवाए गए 11 पीएम आवास हैं। उनके हटाए बिना यह भवन निर्माण शुरू नहीं हो सकता है। चूंकि निगम के जिम्मेदारों की अनियमितता की वजह से इन आवासों को राशि भी दी जा चुकी है और यहां आवास निर्मित हो चुके हैं, ऐसे में इन आवासों को हटाने में हीलाहवाली की स्थिति बनी हुई है और उन्हें अन्यत्र बसाने की समस्या भी है। मामले में तेजी लाते हुए अगर शीघ्र भू-आवंटन कर दोषी अधिकारियों से रिकवरी करवा कर अन्यत्र बसाया जाए तभी यहां मेडिकल कॉलेज बन सकता है। अभी तक इस दिशा में अपेक्षित प्रगति नहीं दिख रही है।
2/ जीएनएम कॉलेज कम हॉस्टल… अवैध शराब दुकान के कारण टलता रहा लोकार्पण
जीएनएम नर्सिंग कॉलेज जिले के लिए बड़ी सौगात है। यहां पूरे प्रदेश से युवतियां नर्सिंग का प्रशिक्षण लेंगी। कलेक्ट्रेट के ठीक बगल में बने इस भवन का लोकार्पण भी मुख्यमंत्री को करना है। इसके साथ ही यहां प्रशिक्षण भी प्रारंभ हो जाएगा लेकिन इस भवन के साथ सबसे बड़ी समस्या इससे बमुश्किल 40 फीट की दूरी पर मौजूद शराब की दुकान है। जो नियमों के विपरीत भवन में संचालित हो रही है। इसे खाली करने के लिए निगमायुक्त नोटिस जारी कर चुके हैं। यहां शराबी अकसर शराब पीकर बोतले परिसर में तो फेंक ही देते हैं इनका आतंक भी बना रहता है। महिला नर्सिंग कॉलेज के बगल में यह स्थितियां किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं हैं । इस संबंध में सीएमएचओ दो बार कलेक्टर को भी पत्र भेज चुके हैं लेकिन आबकारी विभाग मुख्य द्वार से घुमाकर इस दुकान की दूरी काफी दिखा कर शराब कारोबारी के पक्ष में खड़ा है, जबकि भवन की खिड़कियां सीधे दुकान की ओर खुलती हैं । आवासीय और क्लास की स्थिति में यह कतई उचित नहीं है। लिहाजा अब यह अनिवार्य हो जाएगा कि यहां कक्षाएं प्रारंभ करने के साथ ही इस दुकान का निपटारा हो जाए जो कलेक्टर के यहां विलंबित है।
3/ उचेहरा कॉलेज… दूसरे जिले को गई राशि वापस मिले
उचेहरा में महाविद्यालय खुले 6 साल हो चुके हैं। अभी भी यह खुद के भवन के लिए मोहताज है। उत्कृष्ट विद्यालय उचेहरा के 6 भवनों में इसका संचालन हो रहा है। शासन ने इसके खुद के भवन निर्माण के लिये साढ़े 6 करोड़ रुपए की राशि 2017 में भेजी थी लेकिन जिस जमीन पर इसे बनना था प्रशासन उसे अतिक्रमण मुक्त नहीं करा सका और राशि काफी समय लंबित रहने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने यह राशि डिंडोरी को दे दी है। अब शासन से बजट नहीं मिल पाने से यहां की पठन पाठन व्यवस्था प्रभावित है। यहां कुल 300 विद्यार्थियों में 200 से ज्यादा छात्राएं है। शासन स्तर से यह प्रक्रिया अगर हो जाती है तो उचेहरा सहित पसरमनिया पठार की 96 पंचायतों के आदिवासी छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा की सौगात मिल जाएगी।
4/ मार्कंडेय घाट का बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट…मंत्रालय में फंसी अनुमति
हनुवंतिया टापू की तर्ज पर बाणसागर डैम के जलाशय में बीच में रिक्त पड़े टापू के लिए पर्यटन विकास निगम ने मारकण्डेय घाट प्रोजेक्ट तैयार किया था। यहां टूरिस्ट हट, जेटी, रेस्टोरेंट आदि निर्माण कार्य के साथ इसे वाटर स्पोर्ट का पर्यटन स्थल बनाना था। यह वन भूमि है। जो केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति में फंसा हुआ है। जमीन नहीं मिल पाने की वजह से यहां की निविदा निरस्त हो गई है। अब गेंद शासन के पाले में है कि वह जिले को पर्यटक हब बनाने की सौगात सतना को दिला पाता है या नहीं। मामले में मुख्यमंत्री से जिले वासियों की अपेक्षा है कि वे इस पर पहल करेंगे।
5/ परसमनिया बियर सेन्चुरी…पर्यटन की दिशा में उठाने होंगे कदम

परसमनिया पठार आदिवासी बाहुल्य इलाका है और यहां के एक क्षेत्र विशेष में काफी संख्या में भालू है। इसकी संरचना के अनुसार दो स्थल ऐसे हैं जहां से सन राइज और सन सेट का विहंगम नजारा होता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरा यह इलाका अभी अवैध खनन के लिये कुख्यात है। अगर यहां वियर सेंचुरी के साथ पर्यटन की दृष्टि से काम किया जाए तो पूरे पठार के निवासियों को टूरिस्ट हब का लाभ मिलेगा और जिले को एक नई पहचान मिलेगी। इस दिशा में शासन को कई बार पत्राचार भी हो चुका है।
6/ डीएमएफ की दूसरी किश्त बनी बाधा
जिले में डीएमएफ मद से 443 काम स्वीकृत किये गये हैं। जिसमें से सभी को पहली किश्त तो जारी कर दी गई है लेकिन 386 काम महज दूसरी किश्त के इंतजार में अटके पड़े हैं। इसमें मझगवां के 48, मैहर के 164, रामपुर बाघेलान के 70, रामनगर के 12, सोहावल के 44, उचेहरा के 13, नागौद के 13 तथा अमरपाटन के 22 काम शामिल है। कलेक्टर अगर इनकी दूसरी किश्ते जारी कर दें तो इन कामों को शीघ्र पूरा कराया जा सकता है। इनकी नस्तियां कलेक्टर कार्यालय और माइनिंग में अटकी पड़ी है और कई बार डिमांड भेजी जा चुकी है।

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