मेडिकल कॉलेज भोपाल के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट द्वारा जननी सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत स्वास्थ्य केंद्रों में परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता का अध्ययन किया गया। इसमें सामने आया कि अस्पताल में दाखिल गर्भवती और प्रसूताओं को मीनू को दरकिनार कर मनमानी का भोजन परोसा जा रहा। वह खाने योग्य भी नहीं है। निर्धारित समय और डाइट चार्ट के अनुसार नहीं दिया जा रहा। मिशन संचालक एनएचएम डॉ बीएन चौहान ने इसे गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य अधिकाािरयों को निर्देशित किया है कि प्रत्येक चिकित्सा संस्था में प्रतिदिन दिए जाने वाले भोजन की निरीक्षण पंजी संधारित की जाए। संस्था प्रभारी, सिस्टर इंचार्ज रोजाना भोजन पंजी पर हस्ताक्षर करेंगे।
खुद लाओ बर्तन, तब मिलेगा खाना
टीम ने निरीक्षण में पाया कि स्वास्थ्य केंद्रों में घटिया गुणवत्ता का नाश्ता (पोहा, उपमा) बांटा जा रहा है। भोजन का वितरण महिला के पलंग के पास नहीं किया जा रहा है। फलो का वितरण तालिका अनुसार नहीं है। प्रसूता को भोजन के लिए बर्तन का प्रबंध खुद ही करना पड़ता है। बर्तन नहीं लाने पर भोजन नहीं मिलता है। थाली से सलाद भी आए दिन गायब रहता है। दूध का वितरण भी नियमित नहीं किया जाता है।
खाने के पहले हाथ भी नहीं धुलतीं महिलाएं
देशभर में जहां स्वच्छता अभियान के तहत बीमारियों से बचने के लिए हाथ धुलने लोगों को जागरुक किया जा रहा है वहीं अस्पताल में दाखिल महिलाएं खाने के पहले हाथ भी नहीं धुलती हैं। जबकि काउंसलिंग के लिए स्टाफ भी तैनात किया गया है।
– सामान्य रोगियों को सुबह 9 से 9:30 बजे नाश्ता (दूध, पोहा या उपमा, बे्रड )
– दोपहर 1:30 से 2 बजे तक भोजन (स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी सब्जी लौकी, तुरई, गिल्की, टमाटर, सेम, भिण्डी पालक, सलाद, रोटी, नमकीन, दलिया)
– शाम 3:40 से 4:30 बजे तक चाय और बिस्किट।
– रात 8 से 8:30 बजे तक भोजन