scriptशहर में प्रतिदिन 5 से 6 क्विंटल पॉलीथिन की खपत, मुसीबत बन रहा प्लास्टिक प्रदूषण | 5 to 6 quintals of polythene is consumed every day in the city, plastic pollution is becoming a problem | Patrika News
सवाई माधोपुर

शहर में प्रतिदिन 5 से 6 क्विंटल पॉलीथिन की खपत, मुसीबत बन रहा प्लास्टिक प्रदूषण

सवाईमाधोपुर.बजरिया में सब्जी मण्डी के पास पॉलीथिन का लगा ढेर व मुंह कारते मवेशी। पॉलीथिन के सेवन से गोवंश की मौत हो रही है। जगह-जगह शहर में पॉलीथिन के ढेर लगे है।

सवाई माधोपुरApr 22, 2024 / 11:56 am

Subhash

सवाईमाधोपुर.बजरिया में सब्जी मण्डी के पास पॉलीथिन का लगा ढेर व मुंह कारते मवेशी। पॉलीथिन के सेवन से गोवंश की मौत हो रही है। जगह-जगह शहर में पॉलीथिन के ढेर लगे है।

हर जगह हो रहा है प्लास्टिक थैलियों का उपयोग
-प्लास्टिक कैरीबेग की रोकथाम को लेकर सरकारी प्रयास हो रहे फेल

  • विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष…
    सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार की ओर से भले ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर खूब दावे किए जा रहे हो, मगर यह दावे धरातल पर साकार नहीं हो रहे है। सब्जी, राशन सामग्री और अन्य सामान बाजारों में पॉलीथिन में दिए जा रहे है। हर जगह प्लास्टिक थैलियों का उपयोग हो रहा है। यह प्लास्टिक प्रदूषण धरती के लिए भी मुसिबत बनता जा रहा है। प्लास्टिक की रोकथाम को लेकर सरकारी तंत्र भी पूरी तरह से फेल है। उधर, प्लास्टिक की रोकथाम को लेकर राज्य सरकार, प्रशासनिक अधिकारी, नगरपरिषद प्रशासन भी बेपरवाह बने है।
    पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान
    आज प्लास्टिक ने हमारे दैनिक जीवन में जगह बना ली है। लोग बाजार से खरीदा हुआ सामान प्लास्टिक कैरी बैग से ले जाते हुए नजर आते हैं। ऐसे में बाजार से दूध लाना हो या सब्जी, राशन का सामान लाना हो या अन्य खाद्य सामग्री। खाद्य सामग्री, वस्त्र, इलेक्ट्रोनिक उपकरण सहित हर चीज प्लास्टिक में आती है और यह प्लास्टिक सीधे कचरे के साथ घर से बाहर आ जाता है, जो उचित निस्तारण के अभाव में पर्यावरण को नुकसान पंहुचाता है। साथ ही मानव व पशुओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है।
    हाथ पर हाथ धरे बैठे जिम्मेदार
    सब्जी के ठेले हो या किराणा के दुकानदार वे प्रतिबंध की परवाह किए बिना ही धडल्ले से प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग कर रहे हैं। शहर सहित जिले के ग्रामीण अंचलों में भी प्लास्टिक थैलियों का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। इसको लेकर प्रशासन व नगरपरिषद प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। शहर में प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग कितना हो रहा है, इसका अंदाजा नगरपरिषद से बनाए गए कूड़ा फैंकने की जगहों से लगा सकते है। जहां कचरे में अधिकांश मात्रा प्लास्टिक कैरी बैग की होती है।
    रोक के बावजूद नियमों की उड़ा रहे धज्ज्यिां
    सरकार ने प्लास्टिक मुक्त करने के उद्देश्य से 21 जुलाई 2010 से प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, भण्डारण, बेचान, स्थानांतरण और आयात पर प्रतिबंध लगाया था। प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, भण्डारण, बेचान, स्थानांतरण और आयात करने पर एक लाख का जुर्माना एवं पांच वर्ष के कारावास का प्रावधान भी रखा है। इसके बावजूद भी दुकानदार नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है। कार्रवाई नहीं होने से विक्रेताओं के हौसले बुलंद है।
    मवेशी बन रहे काल का ग्रास
    शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे है। इनमें प्लास्टिक इधर-उधर बिखर नजर आती है। इन कूडे के ऐर में दिनभर मवेशी मुंह मारते रहते है। ऐसे में पॉलीथिन खाने से मवेशी भी काल के ग्रास बन रहे है। कई बार पॉलीथिन खाने से मवेशियों ने दम तोड़ा है। जिला मुख्यालय पर सब्जी मण्डी रोड, पुराने शहर सहित कई कॉलोनियों में कचरे के ढेर में पॉलीथिन बिखरी रहती है। इनमें मवेशी विचरण करते रहते है। ऐसे में पॉलीथिन से मवेशियों की जान पर भी खतरा बना है।
    फैक्ट फाइल…
  • जिला मुख्यालय पर प्रतिदिन कचरे में 5 से 6 क्विंटल निकलती है पॉलीथिन।
    -शहर में डेढ़ दर्जन है पॉलीथिन के थोक विक्रेता।
    -गंगापुरसिटी, श्योपुर, जयपुर, टोंक व भीलवाड़ा से मंगवाते है दुकानदार पॉलीथिन।
  • नगरपरिषद क्षेत्र में 48 ऑटो टिपर व 20 ट्रैक्ट्रर-ट्रॉलियों से रोजाना कचरे का होता है उठाव।
    -सूरवाल में डंपिग यार्ड बना है लेकिन अलग-अलग छंटनी की नहीं सुविधा।
  • जिला मुख्यालय पर नहीं है कचरा संग्रहण की सुविधा।
    ………………………………..
    इनका कहना है…
    प्लास्टिक पॉलीथिन की रोकथाम को लेकर जल्द ही अभियान चलाकर विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। चालान काटकर जुर्माना वसूला जाएगा। प्लास्टिक का उपयोग बंद करने को लेकर लोगों को जागरुक होने की जरूरत है। आमजन से भी प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने को लेकर समझाइश की जाएगी।
    फतेहङ्क्षसह मीणा, आयुक्त, नगरपरिषद सवाईमाधोपुर

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