एडीज एडिप्टाई मच्छर काटने से पीडि़त में जीका वायरस फैलता है। महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के दिमागी विकास में बाधक बन सकता है। इसी प्रकार जीका वायरस वाला मच्छर सुबह व शाम ज्यादा सक्रिय रहता है। ठहरे पानी में पनपता है। वायरस, मच्छर से इंसान में और मां से गर्भस्थ शिशु में फैल सकता है। जीका वायरस के संक्रमण के लक्षण मच्छर के काटने से 2 से 7 दिन के बाद प्रकट हो सकते है। बचाव के लिए एहतियात रखना ही अच्छा उपाय है। इसी प्रकार जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति में सामान्य बुखार जैसे ही लक्षण दिखते है। आंखें आना, शरीर पर दाने होना, बुखार, बदन दर्द व जोड़ों में दर्द ही इसके सामान्य लक्षण है।
मौसमी बीमारियों के चलते जिला मुख्यालय स्थित सामान्य चिकित्सालय में मरीजों का प्रतिदिन का आउटडोर 1600 को पार हो गया है। अस्पताल खुलते ही काउन्टर पर मरीजों की कतार लग जाती है। करीब एक पखवाड़े पहले अस्पताल में मरीजों का आउटर 1 हजार से 12 सौ के बीच था। जो अब बढ़कर औसतन 1600 के पार पहुंच गया है। इन दिनों अस्पताल में पर्ची काउंटर, चिकित्सकों से जांच एवं दवा काउन्टरों पर भी कतार लगी हुई है।
यह बीमारी जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होती है। इस बीमारी में सबसे बड़ा खतरा गर्भवती को होता है। चिकित्सकों के अनुसार गर्भ ठहरने के दो-तीन माह के भीतर महिला जीका की चपेट में आ जाए तो शिशु के सिर पर अपूर्ण विकास होता है। ऐसे में समय रहते बचाव के उपाय करने की हिदायत दी गई है। लक्षण दिखने पर तत्काल ही उपचार लेना चाहिए। हालांकि अभी जिले में इसका असर नहीं है।
जयपुर में जीका वायरस मिलने के बाद एहतियात के प्रबंध किए जा रहे है। इसके लिए जिले में अलर्ट जारी कर दिया है। सवाईमाधोपुर में जीका वायरस का केस नहीं आया है लेकिन मच्छरों की रोकथाम के लिए फोगिंग व एंटी लार्वा गतिविधयां करने के निर्देश दिए है।
डॉ.तेजराम मीना, सीएमएचओ, जिला अस्पताल सवाईमाधोपुर