48 दीपकों के साथ भक्तामर स्त्रोत का पाठ कर शास्त्रोक्त पद्वति से प्रत्येक श्लोक पर दीपक समर्पित किए। इस दौरान बिन्दु पांड्या, स्वाति जैन, मंजू पहाडिय़ा, योगेन्द्र पांड्या ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम के अन्त में भगवान आदिनाथ एवं नेमिनाथ की मंगल आरती उतारी गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। इस दौरान समाज के गणमान्य महिला,पुरूष मौजूद थे।
संस्कृत भारती की बैठक आयोजित
बौंली. संस्कृत भारती इकाई बौंली की बैठक रविवार को शिवपुरी कॉलोनी स्थित कार्यालय पर करौली सवाईमाधोपुर के विभाग संयोजक कमलेश मीना की अध्यक्षता में हुई। तहसील संयोजक शशांक सिंहल ने बताया कि बैठक में सरल संस्कृत परीक्षा पंजीकरण निर्णय किया गया। सामाजिक संस्कृत संभाषण शिविर एवं बालकेन्द्र चलाने का निर्णय किया गया। संस्कृत भारती की तहसील कार्यकारिणी का विस्तार किया गया।
इसमें श्योजीराम माली बांस को सरला प्रमुख, महेन्द्र जांगिड़ बहनोली को सरला सह प्रमुख, पीयूष राठौड़ को नगर प्रमुख, हेमन्त वर्मा को नगर सह प्रमुख, पंकज महावर को विद्यालय प्रमुख, रामखिलाड़ी माली को महाविद्यालय प्रमुख का दायित्व सौंपा गया। इस अवसर पर जिला प्रचार प्रमुख मूलचन्द महावर, जिला शिक्षण प्रमुख चिरंजीलाल वर्मा, तहसील सह संयोजक भागचन्द जांगिड़, नरसी गुर्जर आदि उपस्थित रहे।
लोककथा : आगे लोमड़ी पीछे शेरए क दिन जंगल का राजा शेर भूख से परेशान हो रहा था। वह जंगल में आहार ढूंढऩे निकला। संयोग से उसने एक लोमड़ी पकड़ ली। लोमड़ी को खाने ही वाला थी कि लोमड़ी ने कहा- ‘शेर ओ शेर , तुम मुझे नहीं खा सकते हो, क्योंकि मैं भगवान के यहां से भेजा गया हूं। उसने मुझे जानवरों का राजा नियुक्त किया है। अगर तुमने मुझे खाया तो भगवान तुझे सजा देगा।लोमड़ी की बातों पर शेर को विश्वास नहीं हुआ।
लेकिन वह भूख से भी मरा जा रहा था, इसलिए बड़ी दुविधा में पड़ गया। शेर की दुविधा देख कर लोमड़ी ने फिर कहा- ‘तुम मेरी बातें झूठी समझते हो तो आओ। मैं आगे-आगे चलूंगी, तुम मेरे पीछे आना। तुम देख सकते हो कि जंगल के जानवर मुझसे डरते हैं या नहीं। अगर वे मुझे देख कर दूर भाग जाएंगे तो तुम मुझे खा सकते हो।Ó शेर लोमड़ी की बातों में आ गया। अब लोमड़ी आगे-आगे चल रही थी और शेर उसके पीछे-पीछे। जंगल के जानवरों ने यह दृश्य देखा तो वे दोनों को देख दूर भाग खड़े हुए। शेर को मालूम नहीं था कि असल में जानवर उसे देखकर भय के मारे भाग रहे थे। वह समझ रहा था कि जानवर लोमड़ी से डर रहे हैं। शेर ने लोमड़ी से बचकर निकल भागने में ही भलाई समझी और वहां से भाग लिया। लोमड़ी शान से अपनी राह चली गयी।