शिकायत कर्ता निविदादाता ने आरोप लगाया कि वे निविदा से सम्बंधित दस्तावेज पंचायत में जमा कराने निर्धारित तिथि को दोपहर 12 बजे पहुंच गया। जहां सरपंच ने निविदा से सम्बंधित दस्तावेज लेने से मना कर दिया। दोपहर 3 बजे तक पंचायत में बैठा रहा, लेकिन किसी ने भी सुनवाई नहीं की। इसके बाद इसी दिन शाम 4 बजे पंचायत समिति बौंली पहुंच कर विकास अधिकारी को लिखित शिकायत दी, लेकिन इस पर भी कोई करवाई नहीं हो स्की। उधर इस मामले में सरपंच मुकेश नावरिया का कहना है कि आरोप गलत है। अटल सेवा केंद्र पर निविदा डालने के लिए डब्बा रखा गया था। उसमें निविदा का लिफाफा डालना चाहिए। हमने किसी को भी मना नहीं किया।
निविदा को लेकर सरपंच की मनमानी की शिकायत मिली है। यह जांच का विषय है। जांच के बाद ही अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
हरिसिंह चारण, विकास अधिकारी पंचायत समिति बौंली दो साल बाद भी नहीं मिला अनुदान
बाटोदा. एक ओर जहां कृषि विभाग अनुदान की विभिन्न योजनाओं के लिए प्रचार प्रसार में जुटा रहता है, वहीं किसानों को दो साल से अनुदान के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। किसानों ने इसके लिए दो दो बार दस्तावेज जमा करवा दिए। कृषक रामोतार गुर्जर निवासी जीवद, तानसिंह बैरवा व घसीन्ड्या निवासी फुलवाड़ा सहित कई किसानों ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2016 में पाइप लाइन व कुट्टी मशीन खरीदी थी। खरीदने के बाद बिल सहित समस्त दस्तावेज कृषि पर्यवेक्षक सुरेश सोनी के माध्यम से कृषि विभाग में जमा करवा दिए।
हरिसिंह चारण, विकास अधिकारी पंचायत समिति बौंली दो साल बाद भी नहीं मिला अनुदान
बाटोदा. एक ओर जहां कृषि विभाग अनुदान की विभिन्न योजनाओं के लिए प्रचार प्रसार में जुटा रहता है, वहीं किसानों को दो साल से अनुदान के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। किसानों ने इसके लिए दो दो बार दस्तावेज जमा करवा दिए। कृषक रामोतार गुर्जर निवासी जीवद, तानसिंह बैरवा व घसीन्ड्या निवासी फुलवाड़ा सहित कई किसानों ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2016 में पाइप लाइन व कुट्टी मशीन खरीदी थी। खरीदने के बाद बिल सहित समस्त दस्तावेज कृषि पर्यवेक्षक सुरेश सोनी के माध्यम से कृषि विभाग में जमा करवा दिए।
दो साल बाद भी अब तक अनुदान की राशि खाते में जमा नहीं की गई। जबकि नियमानुसार 31 मार्च से पहले राशि खाते में जमा करवा दी जाती है। उप निदेशक कृषि गंगापुर सिटी व सवाई माधोपुर को बात करने पर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जाता। सहायक कृषि अधिकारी रह चुके सुरेश सोनी ने बताया कि अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन समाधान नहीं हुआ।