यह है बानगी
विभागीय सूत्रों के अनुसार सामान्य चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के अधीन इस वर्ष 678 ऑपरेशन के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसकी तुलना में अक्टूबर माह तक मात्र 102 ऑपरेशन ही हो पाए हैं। इनमें 84 ऑपरेशन तो निजी चिकित्सालयों के हैं। वहीं पुरुष नसबंदी के भी दो केस ही हो पाए हैं। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र के लिए निर्धारित १1270 की तुलना में अक्टूबर के मध्य तक महज 61 ऑपरेशन ही हुए हैं। ऐसे में शेष पांच माह में लक्ष्य की पूर्ति करना किसी चुनौती से कम नहीं जान पड़ रहा हैं।
यह है कारण
विभागीय सूत्रों के अनुसार क्षेत्र के नागरिक परिवार कल्याण कार्यक्रम को लेकर जागरुक तो है, लेकिन अधिकांश ऑपरेशन दिसम्बर माह के बाद ही होते हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में योग्य दम्पति ऑपरेशन कराने के स्थान पर परिवार कल्याण के अन्य साधन जैसे कण्डोम, अंतरा, ओरल पिल्स आदि का प्रयोग कर गर्भधारण से बचते हैं। इसके चलते शुरुआती माह में कम उपलब्धि ही हासिल हो पाती है।
मिलती है प्रोत्साहन राशि
विभाग की ओर से परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबंदी कराने वाली महिला व पुरुष को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। इसके अलावा प्रेरक को भी राशि का प्रावधान है। महिला को ऑपरेशन कराने पर 2000 हजार रुपए और प्रेरक को 300 रुपए दिए जाते हैं। प्रसव के सात दिन के अंदर ऑपरेशन कराने पर महिला को 3000 रुपए तथा पे्ररक को 400 रुपए देने का प्रावधान है। वहीं पुरुष को नसबंदी कराने पर 3000 रुपए और प्रेरक को 400 रुपए प्रदान किए जाते हैं। इसके बाद भी कार्मिकों को लक्ष्य हासिल करने में एडी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है।
इस मामले में बीसीएमएचओ गंगापुरसिटी डॉ. एस.डी. शर्मा का कहना है कि वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में कम ही ऑपरेशन होते हैं। आगामी माह में अधिक ऑपरेशन होंगे। लक्ष्य के अनुरुप उपलब्धि हासिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में अधीनस्थों को निर्देश दिए गए हैं।