कोटा और बूूंदी का लिया जिम्मा
बायोवेस्ट के निस्तारण को लेकर पैदा हुआ संकट को देखते हुए स्थानीय निकाय विभाग ने सवाईमाधोपुर में बायोवेस्ट डिस्पोजल का काम कर रही संस्था हॉजबिन इंसीलेटर को कोटा और बूंदी के अस्पतालों से बायोवेस्ट एकत्र कर उसके निस्तारण की जिम्मेदारी सौंप बायावेस्ट कलेक्शन के लिए अधीकृत कर दिया है।
दो स्तर पर उठता है कचरा
चिकित्सा अधिकारियों ने बताया कि जिला अस्पताल में दो स्तर पर कचरे का निस्तारण किया जाता है। इसमें बायोमेडिकल वेस्ट को संबंधित फर्म को 48 घंटे में उठाना होता है। लेकिन फर्म द्वारा समय पर बायोमेडिकल वेस्ट नहीं उठाया जाता है। संबंधित फर्म के पास जिले की अन्य सीएचसी व पीएचसी के कचरे का निस्तारण की जिम्मेदारी है। ऐसे में संबंधित वाहन में कचरा होने से वह जिला अस्पताल से आधे बायोमेडिकल वेस्ट को ही ले जाते हैं। शेष वेस्ट रहने से कमरे में सड़ता रहता है। संबंधित संस्था को 300 बेड के अस्पताल में 3 रुपए प्रति बेड के हिसाब से कचरा उठाने का ठेका दे रखा है। वहीं दूसरी ओर डोमेस्टिक वेस्ट को नगर परिषद द्वारा उठाया जाता है। इसके लिए कचरा उठाने के लिए नियमित वाहन नहीं आता है। इस संबंध में क ई बार जिला कलक्टर को शिकायत भी की, लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ।
अस्पताल परिसर में जलाते हैं कचरा
समय पर कचरे का निस्तारण नहीं होने पर कर्मचारियों द्वारा अस्पताल परिसर में मोर्चरी के समीप खड्डा खोदकर बायोवेस्ट को जलाया जाता है। इससे धुआं वार्ड में घुसता है।
जगह-जगह रहते हैं गंदगी के ढेर
अस्पताल परिसर में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। जिस कमरे में बायोवेस्ट को एकत्र किया जाता है। समय पर वाहन नहीं आने से वह बायोवेस्ट से भर जाता है। ऐसे में सफाई कर्मचारी बायोवेस्ट को अलग-अलग पॉलिथीन में भरकर शौचालयों में रख देते है। इससे बायोवेस्ट सड़ता रहता है। ऐसे में वार्डों तक दुर्गंध आती है।
डॉ. उमेश शर्मा, पीएमओ जिला अस्पताल सवाईमाधोपुर।
संबंधित फर्म द्वारा समय पर कचरे का निस्तारण नहीं किया जाता है। वाहन में जगह नहीं होने पर वह बॉयोवेस्ट को छोड़ जाते है। इसके अलावा नगर परिषद की गाड़ी समय पर कचरा उठाने नहीं आती है। इस संबंध में जिला कलक्टर से शिकायत भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
डॉ. एसएन अग्रवाल, डिप्टी कंट्रोलर, जिला अस्पताल सवाईमाधोपुर।