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सवाई माधोपुर

मंदिर के निकट सजाईं आतिशबाजी की दुकानें

बामनवास (गंगापुरसिटी) . दीपावली के त्योहार के दौरान आतिशबाजी की दुकानें सरकारी भवन एवं मंदिर के निकट लगाए जाने की तैयारियों पर लोगों की ओर से रोष जताया गया है। उन्होंने इस संबंध में उपखण्ड अधिकारी को शिकायत कर आपत्ति जताई है।

सवाई माधोपुरNov 05, 2018 / 11:13 am

Rajeev

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मंदिर के निकट सजाईं आतिशबाजी की दुकानें

बामनवास (गंगापुरसिटी) . दीपावली के त्योहार के दौरान आतिशबाजी की दुकानें सरकारी भवन एवं मंदिर के निकट लगाए जाने की तैयारियों पर लोगों की ओर से रोष जताया गया है। उन्होंने इस संबंध में उपखण्ड अधिकारी को शिकायत कर आपत्ति जताई है।

उपखण्ड अधिकारी की ओर से आतिशबाजी दुकान संबंधी जांच के लिए तहसीलदार को व्यवस्था कराने को कहा है। ग्रामीणों के अनुसार दीपावली के मौके पर आतिशबाजी की बिक्री के लिए उपखण्ड प्रशासन की ओर से दुकानदारों को अस्थाई लाइसेंस दिए जाते हैं। इसमें स्थान भी तय होता है। यह स्थान आबादी से बाहर होना तय है। इस बार ग्राम पंचायत पट्टीकलां प्रशासन की ओर से आतिशबाजी की दुकानें लगाने के लिए दुकानदारों को बिछव तालाब की पाल की जगह आवंटित की गई थी, जबकि गत वर्ष पाताली हनुमान मंदिर के सामने आतिशबाजी की दुकानें लगी थी। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से आतिशबाजी की दुकानों के लिए स्थान तय करने में आबादी की अनदेखी की गई है। तालाब की पाल तक आबादी बसती है।
निकट ही चौथ माता का मंदिर है। इसके लिए तालाब में दिनभर नहाने-धोने के लिए सैंकड़ों लोगों की आवाजाही रहती है। इन दुकानदारों द्वारा तालाब की पाल की बजाय चौथ माता के मंदिर के निकट तथा आंगनबाड़ी केन्द्र भवन के सामने दुकानें लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इससे ग्रामीणों में रोष है। दुकानदारों को तालाब की पाल की जगह आवंटित करना प्रशासनिक गलती है। वहीं इस बारे में उपखण्ड प्रशासन का तर्क है कि आतिशबाजी के लाइसेंस जिलास्तर से जारी होते हैं तथा जगह भी ग्राम पंचायत आवंटित करती है।

खरीदारी की धूम


बामनवास . उपखण्ड मुख्यालय के बाजारों में सोमवार को धनतेरस के मौके पर धन वर्षा होगी। इसके लिए व्यापारियों की ओर से दो दिन पूर्व ही तैयारियां कर ली गई हैं। प्रचार-प्रसार के साथ पर्याप्त मात्रा में स्टॉक किया गया है। ताकि ग्राहकों को लुभाया जा सके। धनतेरस के मौके पर लोगों द्वारा सोने-चांदी के आभूषणों के साथ कपड़े एवं स्टील के बर्तनों की खरीदारी अधिक से की जाती है। इसके लिए बाजार में दुकानें सज गई हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानदारों द्वारा आर्कषक रोशनी एवं सजावट की है। कम्प्यूटर के इस युग में कुछ लोग अभी भी खाता बही का उपयोग करते हैं। ऐसे में कई दुकानों पर खाता बही भी सजी नजर आई। हलवाईयों की ओर से भी रविवार से ही अपने काउन्टर सजाने की तैयारी कर दी गई। कस्बे में लगभग एक से डेढ़ दर्जन हलवाईयों की ओर से अपने काउन्टर मिठाई की बिक्री के लिए लगाए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्र में देशी घी की जलेबी का चलन है। लोग अपने घर के देशी घी से हलवाईयों से जलेबी बनवाते हैं।

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