बृजलाल की तर्ज पर अन्य किसान भी ऐसी खेती की ओर से आकर्षित हो रहे हैं। बृजलाल बताते हैं कि वह किसान के घर में जन्मे और खेती की बारीकियां शुरू से ही जान लीं और खेती में नवाचार के लिए हमेशा प्रयास करते रहे। उन्होंने अपने गांव पीलोदा में नया तालाब के पास पांच बीघा जमीन में वर्ष 2013 में अमरूद के फलदार पौधे रोपे। साथ ही करीब 450 अनार, नींबू, मौसमी चीकू आदि के करीब 50 फलदार पौधे लगाए। इस तरह के पौधे लगाने से पहले उन्होंने 210 फीट लंबा, 155 फीट चौड़ा एवं 20 फीट गहरा फार्म पौंड तैयार किया।
पानी की व्यवस्था होने के बाद रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए खेतों के चारों ओर कंटीले तारों से उसकी सुरक्षा की। पौधों में बराबर देशी खाद और पानी का क्रम शुरू रहा। दूसरे साल में पौधों ने फल देना शुरू कर दिया। तीसरे वर्ष पौधों में अच्छे फल आए। पहली बार बाजार में बिके फलों ने अच्छा मुनाफा दिया। इससे करीब 2 लाख 50 हजार रुपए का एवं दूसरी बार करीब 3 लाख 50 हजार का रुपए का फायदा मिला। इस बार किसान को फलों से करीब 5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ है।
किसान मीणा ने बताया कि उन्होंने अमरूदों की खेती लखपत मीना एवं चन्द्रप्रकाश बड़ाया के कहने पर शुरू की। यह दोनों वर्ष 2013 में उद्यान विभाग सवाईमाधोपुर में तैनात रहे। साथ ही किसान के बड़े भाई रामलखन व रामकेश ने भी इस खेती करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। फलों की खेती से लाभ कमाने के बाद किसान ने इस साल गर्मी के मौसम में 3 बीघा में भिंडी, टिंडे, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अरिया, लॉकी, कोडड़ा, चकरी, मक्का, ग्वार, खरबूजा, चौड़ाई एवं पालक आदि की खेती करना शुरू किया है।