जिले में पशु चिकित्सालय
जिले में प्रथम श्रेणी के पशु चिकित्सालय बौंली, खण्डार, मलारनाडूंगर, चौथकाबरवाड़ाए गंगापुरसिटी, वजीरपुर, बामनवास, चकेरी, सूरवाल, ईसरदा, बालेर, बरनाला, बहरावण्डा कलां, तलावाड़ा पीलोदा में है। इसके अलावा जिला मुख्यालय पर आलनपुर में बहुउद्देशीय चिकित्सालय है। इसी क्रम में पशु चिकित्सालय फलौदी, अमरगढ़, भगवतगढ़, खिरनी, कुस्तला, बाटोदा,पीपलदा, सुकार, मोहचा, मित्रपुरा, एण्डा, करमोदा, शिवाड़ व ठींगला में है।
बंद रहते हैं केन्द्र
स्टाफ की कमी झेल रहे पशु पालन विभाग के कई केन्द्र महज पशु चिकित्सा कर्मियों की कमी के चलते अधिकांश समय बंद रहते हैं। इससे पशु पालकों को पशुओं का उपचार कराने में परेशानी होती है। एक चिकित्सक पर दो से तीन चिकित्सालयों का भार होने से असुविधा हो रही है।
मौसमी बीमारियों में अधिक परेशानी
पशुओं में आम तौर पर बारिश के दौरान मौसम परिवर्तन के समय व संक्रमण की बीमारियों का खतरा अधिक रहता है। अप्रेल, मई और सितम्बर से अक्टूबर माह तक पशुओं में विभिन्न तरह की बीमारियां फैलने का खतरा अधिक रहता है। कई बार समय पर उपचार नहीं मिलने से पशुओं की मौत तक हो जाती है।
यह है नियम
राष्ट्रीय कृषि आयोग के नियमानुसार प्रति 5 हजार पशुओं पर एक चिकित्सालय होना चाहिए लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में हालात विकट है। लेकिन एण्डवा, बोडोलास में पशु चिकित्सक नहीं है तो मखोली, रांवल में कम्पाउण्डर के पद रिक्त है। शेरपुर, चकेरी में पशु चिकित्सा सहायक, चकेरी में पशुधन सहायक व दो सहायक कर्मचारी के पद रिक्त हैं।
एक नजर जिले के पशुधन पर
गोवंश 1 लाख 10 हजार 30
भैंस 3 लाख 18 हजार 184
बकरी 2 लाख 72 हजार 341
कुल 7 लाख 75 हजार
नोट- शेष पशुधन में ऊंट, घोड़ा, गधा,खच्चर व भेड़ आदि शामिल है।