ताले में बंद टू डी इको
वैसे तो जिला अस्पताल में निजी अस्पतालों से बेहतर जांच मशीन व विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद हैं, लेकिन मशीनोंं को स्थापित नहीं किया जा रहा। हृदय रोग जांच के लिए आई टू डी इको मशीन ताले में बंद है। इसके अलावा कलर डोपलर, टीएमटी मशीन का अता-पता ही नहीं है। इनके अभाव में रोगियों को जयपुर जाना पड़ता है। यहां तक की यह मशीन कहा रखी है। इसके बारे में चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ तक को पता नहीं है।
गुर्दे रोगों की जांच अटकी
जिला अस्पताल में गुर्दे आदि रोगों की जांच के लिए हिमोडाइलिसिस मशीन व एक अन्य मशीन को अभी तक व्यवस्थित नहीं किया गया। टेलीमेडिसन भी ताले में बंद है।
16 प्रकार की विशेष जांचों पर ताला
चौथ का बरवाड़ा. उपखण्ड मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के तहत 37 प्रकार की जांच की जाती है। हालांकि गर्भवती महिलाओं की जांच से संबंधित आवश्यक उपकरण नहीं होने से इन महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
खण्डार . सीएचसी पर विभिन्न यूनिटों में लगाए गए लाखों की मशीनें व उपकरण कबाड़ हो रहे है। इनके रख-रखाव व देखरेख के प्रति किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। 50 बेड के अस्पताल में न्यू बोर्न स्टेवलाइजेशन यूनिट धूल धूसरित हो रहे है। करीब डेढ़ एक वर्ष से नेत्र रोग परीक्षण कार्य ताले में बंद है। कक्ष के ताले तक नहीं खुले है। ईसीजी मशीन भी शुरू नहीं है।
बहरावण्डा खुर्द में सात महत्वपूर्ण जांच नहीं
कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कुल 22 तरह की निशुल्क जांच की जाती है, जबकि एक्स-रे, ईसीजी जैसी सहित 7 महत्वपूर्ण जांचों के लिए मरीजों और उनके परिजनों को जिला अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है। ये मशीनें अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं हैं।
मित्रपुरा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रयोगशाला सहायक के पद रिक्त हैं। इससे यहां आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य की सही तरीके से जांच नहीं हो पाती है। प्रयोगशाला का अपना भवन नहीं है। वहीं सीबीसी मशीन इनक्यूबेटर एसी की कमी के चलते भी जांच प्रभावित होती होती है।
37 जांचों का दावा, लेकिन हकीकत कुछ और…
मलारना डूंगर. नि:शुल्क जांच योजना को लेकर सरकारी दावे हकीकत से परे हैं। सरकार सीएचसी में 37 तरीके की नि:शुल्क जांच का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत में यहां ईसीजी जैसी सामान्य जांच की व्यवस्था तक नहीं है। यहां सीएचसी में संचालित सरकारी लेब में हर तरफ गंदगी है। जांच उपकरणों पर धूल व मकड़ी के जाले जमे हैं। टेबल पर सूखे ब्लड के धब्बे हैं। ऐसे में एक दूसरी जांच प्रभावित हो रही है। लेब में क्लीनर नहीं लगा है। सफाई नहीं होती। चिकित्सा प्रभारी डॉ. तेजराम मीना का कहना है कि लेब में सारी व्यवस्था ठीक है। सभी जांच हो रही है। आरोप निराधार है।
डॉ. रामलाल मीणा, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, सवाईमाधोपुर