घास मंडी क्षेत्र में रजाई-गद्दे भरने का काम करने वाले सुलेमान ने बताया कि नई रुई 15० रुपए किलो की दर से भरी जा रही है। वहीं पुरानी रुई की धुनाई की मजदूरी 25 रुपए किलो चल रही है। रजाई में धागे 25 रुपए और गद्दे में 15 रुपए में डाले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शहर में करीब 3 दर्जन रुई धुनाई की दुकानें हैं।
अब सभी जगह मशीन से रुई की धुनाई की जाती है। फिलहाल सर्दी का जोर नहीं बढऩे से अभी काम कम है, लेकिन रोज करीब 3० से 4० गद्दे व रजाई भरने के लिए आ रहे हैं।
सर्दी के तेवर तीखे होने के साथ ही रजाई भराई का काम बढ़ेगा। रुई के थोक विके्रता दीपक सिंहल ने बताया कि शहर में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ व अलवर के खैरथल से रुई की आवक होती है। फिलहाल अच्छी क्वालिटी की रुई थोक में 12० से 122 रुपए किलो की दर से बेची जा रही है।