गौरतलब है कि गत शनिवार अर्द्धरात्रि से 36 घण्टे तक लगातार हुई 6.28 इंच बारिश से उपखण्ड क्षेत्र में हर तरफ जलभराव की समस्या हो गई थी। शेषा गांव के निचले इलाको में पानी भरने के साथ ही माणोली व मलारना डूंगर की एक कॉलोनी में भी घरों में पानी घुस गया था। उधर मलारना चोड़ की कई ढाणियों में भी जलभराव होने से लोग परेशानी से जूझ रहे थे। इस दौरान दौरान उपखण्ड क्षेत्र के अलग अलग इलाको में लगभग एक दर्जन कच्चे पक्के मकान भी गिरे, लेकिन प्रशाशन ने इनकी सुध तक नहीं ली। अब यह लोग पड़ोसियों व रिश्तेदारो के घरो में या खुले आकाश तले छप्पर बांध कर दिन काट रहे हैं।
औसत से 30 प्रतिशत अधिक वर्षा
तहसील कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों की मानें तो इस बार एक जनवरी से 4 सितम्बर तक कुल 854 मिमी वर्षा हुई है। जबकि मलारना डूंगर में औसत 653 मिमी वर्षा मानी गई है। ऐसे में अब तक औसत से 30.78 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है। हालांकि यह आंकड़ा 4 सितम्बर 2016 तक हुई 939 मिमी वर्षा के आंकड़े को नहीं छू सका है।
किसानो की तरफ नहीं ध्यान
उपखण्ड क्षेत्र में गत दिनों हुई अच्छी वर्षा के बाद किसानों की फसल में भी काफी नुकसान हुआ है, लेकिन राजस्व कर्मियों ने अभी किसानों की इस पीड़ा को गम्भीरता से नहीं लिया। यही वजह है कि 4 सितम्बर तक भी पटवारी व गिरदावरों ने फसल खराबे की रिपोर्ट पेश नहीं की। किसानो की मानें तो खेतो में बारिश का पानी जमा होने से उनकी तमाम फसलें नष्ट हो गईं, लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली।
उपखण्ड क्षेत्र में गत दिनों हुई अच्छी वर्षा के बाद किसानों की फसल में भी काफी नुकसान हुआ है, लेकिन राजस्व कर्मियों ने अभी किसानों की इस पीड़ा को गम्भीरता से नहीं लिया। यही वजह है कि 4 सितम्बर तक भी पटवारी व गिरदावरों ने फसल खराबे की रिपोर्ट पेश नहीं की। किसानो की मानें तो खेतो में बारिश का पानी जमा होने से उनकी तमाम फसलें नष्ट हो गईं, लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली।