खण्डार का तारागढ़ किला:
जिले में रणथम्भौर दुर्ग के अलावा खण्डार में तारागढ़ किला भी है। यह भी काफी प्राचीन है। इस किले को भी यदि पर्यटन विभाग की ओर से जीर्णोद्धार कराकर यहां पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं विकसित की जाए तो यह भी एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
तारागढ़ दुर्ग में हैं सात कुण्ड:
तारागढ़ दुर्ग में सात कुण्ड बने हुए हैं। इतिहासकार गोकुलचंद गोयल ने बताया कि इन कुण्डों में वर्ष भर पानी भरा रहता है। इतनी ऊंचाई पर कुण्ड होने के बाद भी हमेशा पानी रहना एक आश्चर्य की बात है। इससे भी यहां पर्यटकों को आसानी से आकर्षित किया जा सकता है।
प्राचीन जैन मंदिर:
किले में जैन तीर्थंकरों का प्राचीन मंदिर है। यहां पूर्व में कई तीर्थंकरों की प्राचीन प्रतिमाएं मिली थी। ऐसे में यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। हालांकि पूर्व में कुछ शरारती तत्वों ने मंदिर की मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास भी किया था। वहीं पूर्व में एक बार कुछ लोग धन की तलाश में किले में खुदाई करने के लिए भी पहुंच गए थे। हालांकि यदि किले का पुरातत्व विभाग की ओर से बेहतर तरीके से संरक्षण व विकास किया जाए तो यहां भी पर्यटकों की चहल-पहल हो सकती है। इसके अलावा किले में हवामहल, राजारानी महल, जयन्ती माता मंदिर, किले का परकोटा आदि अच्छे दर्शनीय स्थल हैं।
पूर्व में आया था बजट:
पूर्व में हमारी धरोहर योजना के तहत खण्डार के तारागढ़ किले की मरम्मत के लिए करीब 84 लाख का बजट आया था, लेकिन इस बजट का उपयोग रणथम्भौर दुर्ग के विकास के लिए पर्यटन विभाग की ओर से कर लिया गया था।
इनका कहना है:
खण्डार के तारागढ़ किले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पूर्व में वन विभाग व तत्कालीन जिला कलक्टर की ओर से भी खण्डार में पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की गई थी। इस दिशा में विभाग की ओर से भी प्रयास किए जा रहे हैं।
मधुसूदन सिंह चारण, सहायक निदेशक, पर्यटन विभाग, सवाईमाधोपुर।