VIDEO मछली का वंश बढ़ाएंगा सरिस्का का वंश
रणथम्भौर में टारगेट टी-75 पूरा मछली के नवासे बाघ टी-75 को सरिस्का किया शिफ्ट तालेडा रेंज के भिड तालेडा से किया ट्रेकुंलाइज चिरौली डांग क्षेत्र के पास स्थित है भिड तालेडा
सवाईमाधोपुर.
‘क्वीन ऑफ रणथम्भौरÓ के नाम से प्रसिद्ध बाघिन टी-16(मछली) का वंश अब एक बार फिर सरिस्का में बाघ के वंश व कुनबे मेें वृद्धि करेगा। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से सोमवार को आखिरकार सालों के लम्बे इंतजार के बाद अलवर के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ को शिफ्ट कर दिया गया। वन विभाग की टीम ने सुबह करीब आठ बजे भिड़ तालेडा के पास बाघ टी-75 को ट्रेकुंलाइज किया। इसके बाद करीब पौने नौ बजे बाघ को सड़क मार्ग से सिरिस्का के लिए रवाना किया गया। बाघ शाम करीब चार बजे सरिस्का पहुंचा जिसे वहां बने एनक्लोजर में रिलीज किया गया। गौरतलब है कि टी-75 रणथम्भौर की बाघिन मछली का नवासा है।
यह रहा टी-75 के चयन का कारण
विभाग की मंशा चार से छह साल तक के बाघ को शिफ्ट करने की थी। वहीं टी-75 की उम्र भी करीब सात साल है। वहीं यह बाघ फिलहाल खण्डार रेंज के तलावड़ा इलाके में विचरण कर रहा था। पूर्व में यह बाघ रणथम्भौर के जोन चार व पांच में विचरण करता था लेकिन बाद में इस इलाके में दूसरे बाघों ने कब्जा कर लिया। ऐसे में यह बाघ खण्डार रेंज की ओर आ गया। यह बाघ अब तक अपनी टेरेटरी नहीं जमा पाया था और जंगल की बहारी सीमा में ही विचरण कर रहा था। ऐसे में विभाग इसे सरिस्का भेजकर इसे सुरक्षित करने की योजना बना रहा था और सोमवार को विभाग ने अपनी योजना को अंजाम दे दिया।
ये अधिकारी रहे मौजूद
वन विभाग के ऑपरेशन के दौरान सीसीएफ मनोज पाराशर, उपवन संरक्षक मुकेश सैनी, रणथम्भौर के पूर्व एसीएफ सेडूराम यादव, ट्रंकुलाइजर एक्सपर्ट राजवीर सिंह, पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग आदि अधिकारी मौजूद थे।
यह है टी-75 का इतिहास
टी-75 रणथम्भौर की बाघिन सुंदरी(टी-17) की संतान है। सुंदरी ने 2012 में पहली बार राजबाग क्षेत्र में तीन शावकों को जन्म दिया था। इनमें दो मेल व एक फीमेल शावक था। इन्हें विभाग की ओर से टी-73, टी-74 व टी-75 नाम दिया था। इइनमें बाघिनटी-73है। टी-75 को डब्ल्यू मेल के नाम से भी जाना जाता है। पहली बार यह बाघ 29 जून 2012 को नेचर गाइड रामसिंह मीणा को नजर आया था।
मछली से है नाता
वन विभाग की ओर से टी-75 को सरिस्का भेजा गया है। यह बाघ बाघिन मछली की संतान टी-17 का बेटा है। मछली ने अंतिम बार तीन शावकों को जन्म दिया था। इन्हें विभाग की ओर से टी-17, टी-18 व टी-19 नम्बर दिए गए। टी-17(सुंदरी) ने 2012 में तीन शावकों को जन्म दिया था इन्हें टी-73, टी-74 व टी-75 नाम दिया गया था।
मौसी को पहले ही भेजा जा चुका है सरिस्का
मछली की संतान टी-18 व बाघ टी-75 की मां की ***** टी-18 को वन विभाग की ओर से पहले ही 2012 में सरिस्का शिफ् ट किया जा चुका है। ऐसे में अब एक बार फिर मछली परिवार का बाघ ही सरिस्का को आबाद करेगा।
नर बााघ व वन विभाग ने किया था बड़ा
बाघिन सुंदरी ने 2012 में राजबाग में तीन शावकों को जन्म दिया था। शाावकों के जन्म के बाद बाघिन ने अपने इलाके में विस्तार करते हुए कचीदा तक अपनी टेरेटरी बढ़ाई। लेकिन कुछ दिनों बाद ही बाघिन लापता हो गई जो आज तक नहीं मिल सकी है। मां के गायब होने के समय तीनों शाावक करीब छह माह के थे। ऐसे में रणथम्भौर के इतिहास में पहली बार नर बाघ टी-25 जालिम ने शावकों को पाला था छोटे शावकों के साथ बहुत दिनों तक बाघ टी-25 विचरण करता रहा। वहीं वन विभाग ने भी शावकों की केयर की। विभाग की ओर से एतियात के तौर पर शावकों के विचरण क्षेत्र में पर्यटन वाहनों के प्रवेश को लम्बे समय तक प्रतिबंधित किया गया।
अब एसटी-16 के नाम से जाना जाएगा
अब तक रणथम्भौर में टी-75 के नाम से पहचाना जाने वाला यह बाघ अब सरिस्का की शान बढ़ाएगा। सरिस्का में इसे एसटी 16 के नाम से जाना जाएगा। गौरतलब है कि सरिस्का में लैगिंक अनुमात बिगडऩे के कारण बाघों के कु नबे पर संकट मंडरा रहा था। रणथम्भौर से टी-75 के सरिस्का पहुंचते ही सरिस्का में बाघों की संख्या में इजाफा हो गया है। सरिस्का में बाघ बाघिनों की संख्या बढ़कर अब 12 हो गई है। इनमें 4 नर बाघ व आठ बाघिन है।
छह साल बाद फिर भेजा गया सरिस्का
रणथम्भौर से करीब छह साल बाद नर बाघ का सरिस्का भेजे जाने की तैयारी की जा रही है। आखिरी बार 2013 को रणथम्भौर से बाघ शिफ्ट करके सरिस्का भेजा गया था। इसके बाद से सरिस्का में दो बाघ भेजे जाने की मांग की जा रही थी लेकिन अनुमति नहीं मिलने के कारण शिफ्टिंग अटकी हुई थी अब अनुमति मिलने के बाद सोमवार को फिर बाघ सरिस्का शिफ्ट किया गया।
अब तक नौ बाघ बाघिनों को किया शिफ्ट
सरिस्का के पूर्व में बाघ विहीन होने के बाद 2008 में सरिस्का को फिर से बाघों से आबाद करने के लिए रणथम्भौर से शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू की गई। तब से लेकर अब तक रणथम्भौर से आठ बाघ बाघिनों को सरिस्का शिफ्ट किया जा चुका है। इनमें टी-1, टी-7, टी-10, टी-12, टी-18, टी-44 , टी-51 व टी-52 शामिल है। जबकि एक बाघ खुद ही रणथम्भौर से निकलकर सरिस्का चला गया था। इसके बाद टी-75 सरिस्का जाने वाला नवा बाध है।
यूं चला घटना क्रम ….
6.00 बजे जंगल में पहुंची वन विभाग की टीम
6.15 टीम ने बाघ की ट्रेकिं्रग शुरू की।
7.45 बजे भिड एरिया में बाघ नजर आया
8.00 बजे बाघ को टेकुंलाइज किया।
8.15 बजे स्वास्थ्य परीक्षण किया
8.20 पर पिंजरे में किया शिफ्ट
8.23 पर बाघ को रिवाइवल दिया
8.30 बजे तालेडा से टैंकर से किया रवाना
8.45 पर जंगल से बहार आया बाघ
4.00 बजे शाम को सरिस्का पहुंचा बाघ
इनका कहना है….
विभाग की टीम ने सुबह करीब आठ बजे भिड के पास से बाघ टी-75 को टे्रकुंलाइज कर सरिस्का के रवाना किया। बाघ पूरी तरह स्वस्थ्य है।
– मुकेश सैनी , उपवन संरक्षक, रणथम्भौर बाघ परियोजना।
टी-75 को करीब दो घंटे की ट्रैकिंग के बाद टेकुंलाइज किया गया। बाघ को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद सरिस्का के लिए रवाना किया गया।
– मनोज पाराशर, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना।
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