scriptउधारी की ‘हंडिया, रहमो-करम का ‘आसरा’ | The 'Handia' of Udhari, 'Asra' of Rahmo-Karam | Patrika News
सवाई माधोपुर

उधारी की ‘हंडिया, रहमो-करम का ‘आसरा’

गंगापुरसिटी . नौनिहालों को पोषण के साथ तालीम और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों की तबियत खुद नासाज बनी हुई है। केन्द्रों पर पहुंंचने वाला पोषाहार उधारी की हंडिया में पक रहा है तो यहां काम करने वाले कार्यकर्ता रहमो-करम पर आसरा लिए हुए हैं।

सवाई माधोपुरOct 10, 2019 / 07:13 pm

Rajeev

उधारी की ‘हंडिया, रहमो-करम का ‘आसरा’

उधारी की ‘हंडिया, रहमो-करम का ‘आसरा’

गंगापुरसिटी . नौनिहालों को पोषण के साथ तालीम और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों की तबियत खुद नासाज बनी हुई है। केन्द्रों पर पहुंंचने वाला पोषाहार उधारी की हंडिया में पक रहा है तो यहां काम करने वाले कार्यकर्ता रहमो-करम पर आसरा लिए हुए हैं।

सरकार की ओर से बेहतर बजट के अभाव में केन्द्रों के भवनों का किराया चुकता नहीं हो पा रहा है। वहीं पोषाहार का भी पूरा भुगतान नहीं हुआ है। हालांकि विभाग ने हाल ही में आए बजट के अनुसार राहत देने की कोशिश की है, लेकिन यह राहत ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुई है।
उपखंड में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवनों का किराया पिछले 22 माह से बकाया चल रहा था। वहीं पोषाहार वितरण करने वाले समूहों का भुगतान 18 माह से अटका था। विभाग ने आधे-अधूरे बजट से भवनों के किराये के रूप में 9 माह का भुगतान किया है, जबकि पोषाहार वितरण करने वाले समूहों को महज 5 माह का पैसा दिया है। बाकी भुगतान को लेकर बजट के अभाव में विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में अब फिर से आंगनबाड़ी केन्द्र उधारी पर आ गए हैं। वहीं पोषाहार भी उधारी की हंडिया में पकता नजर आ रहा है।

होती रहेगी गोद भराई


आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित करने वाली कार्यकर्ताओं के लिए राहत की बात यह है कि केन्द्रों पर होने वाले गोद भराई, अन्नप्रासन एवं प्रवेशोत्सव जैसे कार्यक्रम संचालित करने के लिए विभाग ने पैसा मुहैया करा दिया है। पिछले 20 माह से यह भी उधारी पर चल रहा था। यह भुगतान कार्यकर्ताओं को अप्रेल 2018 से नहीं मिला था, जिसे अब दे दिया गया है। विभाग ने 80 केन्द्रों को यह पैसा दे दिया है, जिससे केन्द्रों पर होने वाले गतिविधियां संचालित रहेंगी।

ऐसे दे रहे दिलासा


शहर में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित हो रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों को किराये के रूप में 750 रुपए प्रतिमाह की राशि मुहैया कराई जाती है। यहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी एवं सहायिका कार्यरत रहती हैं। विभाग यह राशि भवन मालिकों के खाते में ट्रांसफर करता है। कम राशि आने पर भवन मालिक तकादा करते हैं तो कार्यकर्ताओं का एक ही जवाब होता है कि सरकारी पैसा है देर से ही सही, लेकिन आ जाएगा।

सरकार पीट रही ढिंढोरा


बच्चों को बेहतर पोषाहार देने की मुहिम सरकारी स्तर पर हर ओर नजर आ रही है। इसके लिए विभाग की पूरी मशीनरी काम कर रही है, लेकिन केन्द्रों पर पोषाहार पहुंचाने वाले समूहों तक को समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पोषण अभियान कागजों में ज्यादा नजर आ रहा है।

एक नजर में भुगतान
22 माह का बकाया था भवनों का किराया
9 माह का किया गया भुगतान
5 लाख 26 हजार रुपए दिए किराये के रूप में
18 माह का बकाया था पोषाहार का पैसा
5 माह का किया है भुगतान
60 लाख रुपए का किया है भुगतान
13 माह का बकाया है भवनों के किराये का भुगतान
13 माह का फिर बकाया है पोषाहार का भुगतान

इनका कहना है
हाल ही में मिले बजट से पोषाहार वितरण करने वाले समूह एवं आंगनबाड़ी भवनों के किराये की राशि दे दी है। विभाग से और बजट की मांग की गई है। बजट आने के बाद शेष राशि भी दे दी जाएगी। बजट के अभाव में कोई भी योजना प्रभावित नहीं हो रही है।
– जगदीश मीना, सीडीपीओ, गंगापुरसिटी

Home / Sawai Madhopur / उधारी की ‘हंडिया, रहमो-करम का ‘आसरा’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो