राज्य सरकार की ओर से रणथम्भौर में महाराष्ट्र और उत्तराखण्ड से बाघ लाने की कवायद की जा रही है। इस संबंध में सरकारी स्तर पर व नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की ओर से अनुमति भी दे दी गई है।
सवाई माधोपुर•Feb 03, 2024 / 04:47 pm•
Akshita Deora
राज्य सरकार की ओर से रणथम्भौर में महाराष्ट्र और उत्तराखण्ड से बाघ लाने की कवायद की जा रही है। इस संबंध में सरकारी स्तर पर व नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की ओर से अनुमति भी दे दी गई है। ऐसे में अब जल्द ही इस दिशा में काम शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि यूं तो हमारा प्रदेश देश का ऐसा नवां राज्य बन चुका है, जिनमें सौ से अधिक बाघ-बाघिन विचरण कर रहे हैं। लेकिन अभी प्रदेश के बाघों में इनब्रीडिंग की एक बड़ी समस्या है। दरअसल वर्तमान में प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में रणथम्भौर के ही बाघ-बाघिन है। प्रदेश के सरिस्का, मुकुंदरा, करौली-धौलपुर और बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में वर्तमान में रणथम्भौर के ही बाघ-बाघिन है और रणथम्भौर के बाघ बाघिन ही प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को आबाद कर रहे हैं।
यह रहेगी योजना
जानकारी के अनुसार इस साल के अंत तक प्रदेश का पहला इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन कार्यक्रम किया जाएगा। इसके तहत महाराष्ट्र व उत्तराखण्ड से बाघों को रणथम्भौर लाया जाएगा। पूर्व में इसके लिए दोनों ही राज्यों को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। इसके तहत रणथम्भौर में बाघ लाए जाएंगे। फिर वहां से लाए गए बाघों की यहां पहले से मौजूद बाघिनों के साथ ब्रीडिंग कराई जाएगी। बाघों के कुनबे में इजाफा होने के बाद बाघों को प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा।
इससे पूर्व रणथम्भौर में एमपी से भी बाघ-बाघिन लाने पर विचार किया गया था, लेकिन एमपी के कई जंगल रणथम्भौर से सीधे प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर के कारण जुड़े हुए हैं। ऐसे में पूर्व में रणथम्भौर के कई बाघ एमपी के जंगलों में पहुंच चुके हैं। ऐसे में अब वन विभाग व सरकार की ओर से महाराष्ट्र व उत्तराखण्ड से रणथम्भौर में बाघ लाने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।
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