चम्बल की लहरों पर मिले पर्यटन को उड़ान
चम्बल की लहरों पर मिले पर्यटन को उड़ान
सवाई माधोपुर•Feb 04, 2022 / 11:18 am•
Subhash
सवाईमाधोपुर. चम्बल में बोटिंग करत पर्यटक।
सवाईमाधोपुर.जिला रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के कारण पर्यटन के क्षेत्र में विशेष पहचान रखता है लेकिन यहां रणथम्भौर के साथ-साथ राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य भी है। इस अभ्यारण्य में घडिय़ाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन आदि कई तरह के दुर्लभ जलीय जीव पाए जाते हैं। इसके अलावा सैंकड़ो तरह के पक्षी भी मिलते है। ऐसे में यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। हालांकि हाल ही में वन विभाग की ओर से चंबल में पर्यटन बढ़ाने के लिए बोटिंग की सुविधा को शुरू किया गया है लेकिन अब भी यहां कई प्रकार की सुविधाओं का अभाव है। यहां पर्यटकों के लिए सुविधाओं को विकसित किया जाए तो चंबल की लहरों पर भी पर्यटन को उड़ान मिल सकती है और रणथम्भौर के अलावा जिले में पर्यटन का एक ओर विकल्प तैयार किया जा सकता है।
नाइट वाटर सफारी का है विकल्प
वर्तमान में वन विभाग की ओर से पर्यटकों के लिए केवल दिन के समय में भी बोटिंग की सुविधा को शुरू किया गया है लेकिन यदि यहां पर सुविधाओं में इजाफा किया जाए और पर्यटकों के लिए बड़े शहरों की तर्ज पर नाइट वाटर सफारी की सुविधा शुरू की जाए तो पर्यटकों को एक अलग रोमांच व एडवेंचर ट्यूरिज्म का विकल्प भी प्राप्त हो सके गा।
स्टीमर का शुरू हो संचालन
वन विभाग की ओर से वर्तमान में चंबल में केवल बोटिंग की सुविधा दी जा रही है। इसमें पर्यटकों को आठ किमी बोटिंग कराई जा रही है। इसके लिए सादा नावों का इस्तेमाल किया जा रहा हॅै। यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक स्टीमर का संचालन भी शुरू किया जा सकता है। पूर्व में तात्कालीन जिला कलक्टर राजेन्द्र किशन ने भी एक बैठक के दौरान चंबल में स्टीमर का संचालन शुरू करने की बात कही थी। हालांकि अब तक इस दिशा में कुछ खासनहीं हो सका है। लेकिन यदि चंबल में स्टीमर का संचालन शुरू किया जाए तो पर्यटन में तो इजाफा होगा ही साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। साथ ही बोटिंग की सुविधा को पालीघाट से रामेश्वरम त्रिवेणी संगम तक बढ़ाया जा सकता है।
नाइट स्टे से भी मिल सकता है बढ़ावा
देश के कई टाइगर रिजर्व व अन्य पर्यटन स्थ्रलों पर पर्यटकों को नाइट स्टे की सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है। इसी तर्ज पर चंबल नदी के किनारे पर्यटकों के लिए भी नाइट स्टे की सुविधा विकसित की जा सकती है। इसके लिए टेंट व हटस का उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में चंबल पर पर्यटकों के लिए नाइट स्टे की सुविधा का विकल्प नहीं हैं। इसके साथ ही चंबल नदी पर बीच में बने टापू को भी पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।
एक नजर में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य….
1978 में हुई थी स्थापना
3 प्रदेशों से होकर गुजरता है अभयारण्य।
6 बोटो को किया जा रहा संचालन
300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां मिलती है अभयारण्य में
3 नदियों का होता हैं संगम।
इनका कहना है….
विभाग की ओर से चंबल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हाल ही में विभाग ने यहां बोटिंग की सुविधा शुरू की है। यहां पर पर्यटकों को बर्ड वॉचिंग की सुविधा देने के लिए रिवर फ्रंट, शौचालय, कैंटीन व हट आदि के निर्माण का प्रस्ताव भी उच्च अधिकारियों को भेजा गया है।
– अनिल यादव, उपवन संरक्षक, राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य, सवाईमाधोपुर।
एक्सपर्ट व्यू….
विभाग की ओर से चंबल में पर्यटन बढ़ाने की कवायद की जा रही है। पूर्व में यहां स्टीमर के संचालन का सुझाव भी मिला था। इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। इससे जिले में पर्यटन कों बढ़ावा मिलने के साथ ही रोजगार के अवसरों में भी इजाफा होगा।
– मधुसूदन सिंह, सहायक निदेशक, पर्यटन, सवाईमाधोपुर।
फोटो कैप्शन….
सवाईमाधोपुर पालीघाट पर चंबल में बोटिंग करते पर्यटक। (फाइल फोटो)
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