जानवरों के पीने को कहीं पानी नहीं है। इंसान भी अब बेबस निगाहों से अफसर व जनप्रतिनिधियों की ओर देख रहे हैं। इस हकीकत से जलदाय अधिकारी व राजनेता अनभिज्ञ नहीं। सब कुछ जान कर जनप्रतिनिधि व अफसर लोगों को आश्वासनों के छींटों के अलावा कुछ नहीं दे पा रहे हैं।
एक माह से नहीं पहुंचा टंकी में पानी
मीन भगवान मन्दिर के पास बनी पानी की टंकी को भरने के लिए जलदायकर्मी बीते एक माह से एक साथ चार नलकूपों से मोटर चला कर पानी लाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही। जब पानी की समस्या बढऩे लगी तो अब विभागीय अधिकारियों ने पाइप लाइनों में ब्लॉकेज ढूंढने शुरू किए हैं। ब्लॉकेज ढूंढने के लिए बीते चार दिनों से विभागीय कर्मचारियों ने जगह-जगह गड्ढे खोद दिए हैं।
गड्ढों के पानी से चला रहे काम
यहां टंकी वाले मोहल्ले में रहने वाले बनवारी लाल झेराला ने बताया कि एक माह से नलों में पानी नहीं है। खेतों के कुओं में मोटर चला कर पानी ला रहे हैं। बीते चार दिन से ब्लॉकेज ढूंढने के लिए सड़क किनारे गदा खाल में जलदाय कर्मियों ने गड्ढा खोद रखा है। नलकूप से मोटर चलाने पर पूरा पानी इसी गड्ढे में भर रहा है। जल संकट की स्थिति यह है कि अब लोग गड्ढे में भरे पानी को भी नहीं छोड़ रहे हैं।
पूर्व में डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने मलारना चौड़ में एक करोड़ रुपए की लागत से नीमोद-मलारना चौड़ पेयजल योजना स्वीकृत करवाई थी। स्वीकृति के बाद बाकायदा मोरेल नदी के पास नलकूपों की खुदाई कर मलारना चौड़ तक पाइप लाइने भी बिछाई गई। इसके बाद जलदाय अधिकारी टेस्टिंग के नाम पर योजना को शुरू करने में टालम टोल करते रहे। बीते दिनों मलारना चौड़ विकास मंच के सदस्यों ने सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीना को ज्ञापन सौंप कर नीमोद-मलारना चौड़ पेयजल योजना शुरू करवाने की मांग की।
मलारना चौड़ में दो पुराने व दो नए नलकूप चालू हैं। जलस्तर कम होने से पानी का दबाव नहीं बन पा रहा है। टंकी में पानी नहीं पहुंचने के कारण हमने ब्लॉकेज भी ढूंढे, लेकिन सफलता नहीं मिली। चार दिन से हमारे कर्मचारी इसी काम में लगे हैं।
आरसी मीना, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग सवाईमाधोपुर