WHO का दावा- ‘कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं की तो Corona हो जाएगा बेकाबू’
ये सभी ज्वालामुखी (Volcanic) थोड़े-थोड़े अंतर पर अब भी फट रहे हैं और इन विस्फोटों की वजह से सतह पर कोरोने या कोरोना (Coronae/Corona) जैसे ढांचे बन गए। यहां कोरोना जैसे ढांचों का मतलब होता है कि गोल घेरे जो बेहद गहरे और बड़े हैं। इन घेरों की गहराई शुक्र ग्रह (Venus) के काफी अंदर तक है।
हाल ही में इन घेरों से ही ज्वालामुखीय लावा बहकर ऊपर आया था। अभी इनसे गर्म गैस निकल रही है। इसके साथ ही ज्वालामुखी लावा ग्रह के कोरोना गड्ढे में बह रहे हैं। ये 37 ज्वालामुखी ज्यादातर शुक्र ग्रह (Venus) के दक्षिणी गोलार्द्ध पर स्थित है।
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इस घटना के पहले तक वैज्ञानिकों को लगता था कि शुक्र ग्रह (Venus) की टेक्टोनिक प्लेट्स शांत हैं। लेकिन इस घटना ने सभी बातों को झुटला दिया है। इन ज्वालामुखीय विस्फोटों (Volcanic eruptions) की वजह भूकंप आ रहे हैं। टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार हिल रही हैं।
नेचर जियोसाइंस (Nature geoscience) में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इन सभी ज्वालामुखीय विस्फोटों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके साथ ही इस रिसर्च में शामिल इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स की वैज्ञानिक एना गुल्चर ने कहा कि शुक्र ग्रह भौगोलिक रूप से शांत नहीं है। न कभी था। न ही रहने की संभावना है।